महाराणा प्रताप जयंती: मातृभूमि स्वाभिमान दिवस धूमधाम से मनाया गया

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संवाददाता: निशांत सिंह
जौनपुर। मछलीशहर बंधवा कुंवरपुर मार्ग पर स्थित महाराणा प्रताप प्रवेश द्वार, बामी पर, महाराणा प्रताप जी की जयंती के अवसर पर उनके आदमकद मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। यह कार्यक्रम प्रताप सेवा समिति के द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत महाराणा प्रताप जी के जीवन और उनके बलिदान को याद कर की गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. अजय कुमार सिंह, भाजपा जिला अध्यक्ष, मछलीशहर ने कहा, “महाराणा प्रताप ने जीवनभर स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। घास की रोटी खाकर भी उन्होंने मातृभूमि की रक्षा की। उनके पदचिन्हों पर चलकर आज हमारा देश एकता और साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है।”

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता शतरुद्र प्रताप ने कहा, “महाराणा प्रताप केवल एक जाति के नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समाज के शौर्य और वीरता के प्रतीक हैं। उन्होंने अपने जीवन में जो अदम्य साहस और संघर्ष का परिचय दिया, वह आज भी हमें प्रेरित करता है। इतिहास में हमें महाराणा प्रताप की वीरता के स्थान पर अन्य निरर्थक प्रसंग पढ़ाए गए हैं, जो चिंतनीय है।”

महाराणा प्रताप का जीवन और प्रेरणा महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अन्य वक्ताओं ने उनके शौर्य, बलिदान और स्वाभिमान की कहानियां साझा कीं। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आज की पीढ़ी को महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों से प्रेरणा लेनी चाहिए।

कार्यक्रम का आयोजन और उपस्थित गणमान्य प्रताप सेवा समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि डॉ. अजय कुमार सिंह और शतरुद्र प्रताप के अलावा अन्य प्रमुख उपस्थित लोगों में संजीव सिंह, अंजू सिंह, अभिषेक सिंह, सौरभ सिंह, मयंक सिंह, आशीष कुमार, विवेक सिंह, दिनेश सिंह, हनुमंत पांडेय, राजेंद्र प्रसाद सिंह, महेश चौरसिया, स्कंध पटेल, सत्यप्रकाश सिंह, शैलेश गिरी, रमेश तिवारी, जज सिंह अन्ना, शैलेन्द्र सिंह, चंद्रसेन गिरी, डॉ. विकास पाल, और सियाराम पाल प्रमुख थे।

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने महाराणा प्रताप के जीवन पर आधारित कविताएं और गीत प्रस्तुत किए। इस अवसर पर सभी ने उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ और उपस्थित जनों ने एक स्वर में महाराणा प्रताप के आदर्शों पर चलने की प्रतिज्ञा ली।

लेख तैयार कर दिया गया है। यदि इसमें किसी प्रकार का संशोधन या अतिरिक्त जानकारी जोड़नी हो, तो कृपया बताएं।

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