तरुणमित्र शमशेर अली
भिवंडी। जब भी भिवंडी की राजनीति का ज़िक्र होता है, तो एक नाम खुद-ब-खुद ज़हन में आता है — खालिद गड्डू। ऐसा नाम जो लोगों के दिलों में बसता है और जिसने वर्षों से जनता के मुद्दों को लेकर आवाज़ उठाई है। टोरेंट पावर कंपनी के खिलाफ उनका “हल्ला बोल” जैसा ऐतिहासिक आंदोलन उनके साहसी मिज़ाज और जन-समर्पण का जीता-जागता उदाहरण है। आज भिवंडी को फिर से ऐसे ही एक बेखौफ, बेबाक और जनसेवी नेता की ज़रूरत है — और यह आवाज़ अब शहर की गलियों और बाज़ारों में गूंज रही है।
2019 के विधानसभा चुनावों में 43 हज़ार से ज़्यादा वोट हासिल करने वाले निर्दलीय उम्मीदवार खालिद गड्डू न सिर्फ एक मज़बूत जनप्रतिनिधि हैं, बल्कि जनसंघर्ष की एक प्रतीक बन चुके हैं। उन्होंने एक ऐसी निजी कंपनी के खिलाफ डटकर मोर्चा खोला, जिससे कई बड़े नेता कतराते रहे। उनकी बढ़ती लोकप्रियता और जनता का समर्थन इस बात का सबूत है कि वह सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि लोगों के दिल की धड़कन हैं।
खालिद गड्डू की लोकप्रियता और राजनीतिक उभार कुछ लोगों को हज़म नहीं हुआ, और एक साज़िश के तहत उन्हें चार साल से भी ज़्यादा समय तक जेल की सज़ा भुगतनी पड़ी। लेकिन जनता जानती है कि उनकी गिरफ़्तारी का मक़सद बस यही था — उस आवाज़ को खामोश करना, जो हमेशा ग़रीबों, मज़लूमों और पिछड़े वर्गों के लिए उठती रही है।
हालाँकि वे जेल में थे, लेकिन शहर की गलियों में उनका नाम और उनके संघर्ष की चर्चा हमेशा ज़िंदा रही। उनके समर्थकों की आंखों में आंसू, दिलों में बेचैनी और जुबान पर एक ही सवाल — “गड्डू भाई कब आएंगे?” यह सब इस बात का प्रमाण है कि जन-समर्थन को ज़ंजीरों में क़ैद नहीं किया जा सकता।
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और अब वह पल आ गया है जिसका वर्षों से इंतज़ार था। खालिद गड्डू अब आज़ाद हैं और पहले से कहीं अधिक हौसले, जोश और इरादे के साथ मैदान में लौट चुके हैं। यह सिर्फ एक नेता की वापसी नहीं, बल्कि उम्मीद, सच्चाई और न्याय की वापसी है।
जल्द ही वे अपने कार्यालय में जनता से मुलाकात करेंगे और एक बार फिर शहर की गलियों में, जनता के बीच उनकी आवाज़ बनकर खड़े होंगे। यह वापसी उन ताकतों के मुंह पर करारा तमाचा है, जो यह समझ बैठे थे कि एक ईमानदार इंसान को मिटाया जा सकता है।
आज भिवंडी में हर ज़ुबान पर एक ही नाम है — खालिद गड्डू। अगर वाकई भिवंडी को एक सकारात्मक बदलाव की ज़रूरत है, एक निडर आवाज़ की ज़रूरत है, तो उसे एक बार फिर खालिद गड्डू को अपनाना होगा। क्योंकि वह सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि भिवंडी की पहचान बन चुके हैं