मुद्दा: जातिगत अपमान के लिए वामपंथ कितना दोषी ..!

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पंकज सीबी मिश्रा/पूर्वांचल लाईफ

यूपी ! पहले ही कर्जे में डूबे और अपनी मानसिक स्थिरता खो चुके फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यम घटिया वामपंथ की जो लकीर खींच रहे वह कोई नया नहीं । ब्राह्मणों का अपमान कर सफलता की सीढियां खोजने वालों की फेहरिस्त लंबी है पर दो चार सीढियां चढ़ कर फिसल इतनी बुरी तरह धराशाई होते है ऐसे लोग जिनपर इतिहास थूकता है । कभी तुलसीदास को गाली देकर अपनी राजनीति चमकाने वाला स्वामी प्रसाद मौर्य आपको याद होंगे । ऐसे अन्य कई उदाहरण है जिनका पतन तब हुआ जब उन्होंने ब्राह्मण को अपमानित कर लोकप्रियता हासिल करनी चाही। आजकल जब कोई व्यक्ति ब्राह्मणों को गाली देता है तो ब्राह्मण होने के नाते बहुत विचलित नहीं होता हूँ क्युकी समझ चुका हूं कि इस देश में चर्चा पाने का एक सफल तरीका यह भी है, और अपने अपने कैरियर में फेल हो चुके लोग एक बार यह करके भी देख चुके है जिनमें रावण जैसे ब्राह्मण का सरनेम लगा कर एक नेता जीता जागता उदाहरण है । कुछ को सफलता तो मिलती है, पर जल्द ही उसका अस्तित्व समाप्त भी हो जाता है। अधिकांश यूँ ही सड़ गल जाते हैं। वैसे भी, हर व्यक्ति तो बुद्ध या कबीर नहीं हो सकता न ! समाज में जो यह समझ रहे कि अनुराग कश्यप केवल ब्राह्मणों पर पेशाब करने की बात कर रहा है वह अपनी समझ बढ़ाए अनुराग कट्टर वामपंथी है और क्रिसचीएनिटी का प्रबल समर्थक । वह हिंदुत्व पर पेशाब करने की बात कर रहा है । स्टालिन जैसे अनेक वामपंथी समय समय पर हिंदुओं का अपमान करके उनकी सहनशक्ति को टेस्ट करते रहते हैं। बहुत बार हिंदू अपमानित होने के बाद अपनी सहनशक्ति बढ़ाकर घर बैठ जाता है। इस दौरान किसी जगह कुछ प्रदर्शन हो गए तो लगता है हिंदू जाग गया लेकिन वे प्रदर्शन हिंदुत्व एकता की बजाय कुछ जातियों में सीमित हो जाते हैं और फिर सब अपने अपने घर। जातियां हिंदू वट के पुष्प, डाली, जड़, तना, पत्ते, छाल हैं। पत्ता नुचेगा, पुष्प तोड़ा जाएगा, तना काटा जाएगा, जड़ उखाड़ी जायेगी तो इसमें एक का नहीं सब यानी पूरे पेड़ जो सबको आधार देता है का नुकसान है।कोई ब्राह्मण है तो केवल इसलिए कि वह हिंदू है, यादव है, हरिजन है, कुर्मी, मौर्या, पटेल, मुंडा, कोल, किरात, खासी, मैतेई है तो केवल इसलिए कि हिंदू हैं ठाकुर इसलिए कि वह हिंदू है, जाटव है तो इसलिए कि हिंदू है, बनिया, महतो, जाट, भूमिहार, कायस्थ, लिंगायत, शाक्त, नाथ, वैष्णव, शैव, साधु, नागा, इसलिए है क्योंकि वह हिंदू है। आप गाली देने वालों की लिस्ट देखिये, सब के सब कुंठित और बिल्कुल ही असफल लोग हैं। परीक्षाओं में बार बार फेल होने वाले विद्यार्थी, नौकरी की दौड़ से बार बार छंट जाने पर बौखलाए युवक, लगातार डिजास्टर फिल्में देने वाला फ्लॉप निर्देशक, असफल अभिनेत्री, या अपनी बौद्धिक सामर्थ्य से बहुत अधिक का स्वप्न देखने वाले अधिकारी इस लिस्ट में बार बार नकारे जा रहे वे राजनैतिक लोग भी हैं जो किसी भी तरह चर्चा में आना चाहते हैं। अपने पारिवारिक जीवन में भी पूरी तरह नकारा सिद्ध हो चुके वे असफल लोग, जो तीन तीन शादियों के बाद भी अकेले जी रहे हैं, कोई उन्हें पानी देने वाला भी नहीं… मुझे इनपर कभी क्रोध नहीं आता, मुझे दया आती है। हालांकि यह तरीका अब धीरे धीरे चूक रहा है। अब केवल ब्राह्मणों को गाली दे कर न कोई विधायक बन सकता है, न ही उसकी फिल्म हिट हो सकती है। कुछ तो अपनी बेहूदगी के कारण अपने बच्चों का कैरियर तक खा गए। दरअसल लोग समझने लगे हैं कि ब्राह्मणों को गाली देना केवल और केवल अपनी नाकामी छुपाने के लिए की गई उल्टी भर है। आज के समय में ब्राह्मण किसी भी क्षेत्र में इतने प्रभावशाली नहीं कि उस क्षेत्र की व्यवस्था उनके नियंत्रण में हो और यदि किसी क्षेत्र में हैं भी, तो वे स्वयं भी ब्राह्मणों के सबसे बड़े शत्रु और विरोधी हैं।

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