कोतवाली पुलिस की निष्पक्ष जांच पर जताया कोर्ट ने भरोसा
जौनपुर।
जौनपुर के चर्चित मामले में तामीर हसन उर्फ शिबू को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट नंबर 43 में लंबित आपराधिक विविध रिट याचिका संख्या 16184/2025 पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 5 अगस्त 2025 को स्पष्ट निर्देश दिए कि जांच पूरी होने तक याचिकाकर्ता को अनावश्यक रूप से परेशान न किया जाए। यदि गिरफ्तारी आवश्यक हो, तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मापदंडों का पूरी तरह पालन किया जाए।
यह मामला कोतवाली थाना, जौनपुर में दर्ज अपराध संख्या 211/2025 से संबंधित है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 308(2), 75(1), 352 और 351(3) लगाई गई हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं आशीष कुमार और बलदेव शुक्ला ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार की ओर से अपर सरकारी अधिवक्ता आसिफ अकबर ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया।
न्यायालय का निर्देश: गिरफ्तारी हो अंतिम विकल्प
न्यायमूर्ति अनिल कुमार (एक्स) और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि चूंकि सभी धाराएं सात वर्ष से कम सजा वाली हैं, ऐसे में गिरफ्तारी को केवल अंतिम विकल्प के रूप में अपनाया जाए। कोर्ट ने कोतवाली पुलिस को भी निर्देशित किया कि जब तक जांच पूरी न हो, तामीर हसन को अनावश्यक रूप से तंग न किया जाए।
कोतवाली पुलिस की कार्यप्रणाली पर संतोष
हाईकोर्ट ने अब तक की गई पुलिस कार्रवाई को संतोषजनक और निष्पक्ष बताया। यह भी कहा गया कि पुलिस ने मामले को बिना पक्षपात के हैंडल किया है, जिससे न्यायालय का विश्वास कायम हुआ है।
तामीर हसन शिबू का बयान
कोर्ट से राहत मिलने के बाद मीडिया से बात करते हुए तामीर हसन ने कहा: “मुझ पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाए गए थे। मुझे कानून और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था। कोतवाली पुलिस ने जिस निष्पक्षता से काम किया, उसके लिए मैं उनका आभारी हूं। मैं जांच में पूरा सहयोग करता रहूंगा।”
कोर्ट का दो टूक निर्देश
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा:
“जब तक कोई पुख्ता वजह न हो, तब तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार न किया जाए या किसी भी प्रकार से परेशान न किया जाए।”