जौनपुर। जिला महिला चिकित्सालय में लेबर रूम के अंदर घुसकर वीडियो बनाने वाले दो युवकों मोहम्मद उस्मान और मयंक श्रीवास्तव पर अब तक कार्रवाई न होने से सवाल उठने लगे हैं। दोनों युवक खुद को पत्रकार बताकर न केवल अस्पताल की मर्यादा भंग कर रहे थे, बल्कि मरीजों को बहला-फुसलाकर प्राइवेट अस्पताल भेजने का धंधा भी चला रहे हैं।
बीते दिनों मोहम्मद उस्मान और मयंक श्रीवास्तव अस्पताल के लेबर रूम में घुस गए, जहाँ महिला मरीजों का इलाज चल रहा था। दोनों ने वीडियो बनाना शुरू किया और उसे सोशल मीडिया पर धार्मिक रंग देकर वायरल कर दिया।इस वीडियो में यह झूठा दावा किया गया कि अस्पताल में धर्म के आधार पर प्रसव नहीं कराया जा रहा जबकि जांच में यह दावा पूरी तरह फर्जी और भ्रामक निकला।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एम. के. गुप्ता ने इस घटना को सुनियोजित साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा दो युवक बिना अनुमति लेबर रूम तक पहुँच गए और महिला मरीज का वीडियो बनाकर अफवाह फैलाने लगे। यह मरीजों की निजता का खुला उल्लंघन है। हमने पुलिस अधीक्षक को इसकी शिकायत भेजी है और कठोर कार्रवाई की मांग की है।CMS ने यह भी बताया कि उक्त दोनों युवक अक्सर अस्पताल परिसर में मंडराते रहते हैं और गरीब मरीजों को बहला-फुसलाकर प्राइवेट अस्पताल ले जाते हैं, जहाँ से उन्हें मोटी रकम मिलती है। फर्जी वीडियो से सरकार और अस्पताल की छवि धूमिल करने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार, वायरल वीडियो का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक उन्माद फैलाना ही नहीं, बल्कि सरकार और जिला अस्पताल की छवि को धूमिल करना भी था।
वर्तमान में अस्पताल में कई मुस्लिम महिलाएँ भर्ती हैं जिनका नियमित रूप से इलाज चल रहा है।
CMS ने स्पष्ट कहा कि अस्पताल में सभी धर्मों के मरीजों को समान रूप से इलाज की सुविधा दी जाती है। यह वीडियो पूरी तरह सोची-समझी साजिश के तहत वायरल किया गया ताकि सरकार और अस्पताल की छवि को नुकसान पहुँचाया जा सके।”
कानूनी जानकारों के अनुसार, यह प्रकरण कई गंभीर धाराओं में संज्ञेय अपराध बनता है —
आईटी एक्ट 66D – फर्जी पहचान बनाकर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से धोखाधड़ी
धारा 354 आईपीसी – महिला की गरिमा भंग करने का अपराध
धारा 509 आईपीसी – महिला की निजता का अपमान
धारा 505(2) आईपीसी – धार्मिक वैमनस्य फैलाने का प्रयास
धारा 120B आईपीसी – आपराधिक साजिश
जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। अस्पताल प्रशासन ने दोनों युवकों को फर्जी पत्रकार बताते हुए कहा कि उनकी हरकत न केवल पत्रकारिता के नाम पर कलंक है, बल्कि अस्पताल की गरिमा और मरीजों की सुरक्षा के लिए खतरा भी है।फिर भी, अब तक नगर कोतवाली पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई न होने पर लोगों में नाराजगी है। आमजन और पत्रकार संगठनों का कहना है “अगर ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में कोई भी व्यक्ति पत्रकारिता का नाम लेकर संवेदनशील संस्थानों में घुसपैठ कर सकता है।”