अब 15 अक्टूबर तक किया जा सकेगा सर्वेक्षण, ग्रामीणों को मिलेगा पक्का घर पाने का सुनहरा मौका
नई दिल्ली/जौनपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी)? के तहत चल रहे आवास + 2024 सर्वेक्षण के लिए केंद्र सरकार ने समय सीमा बढ़ा दी है। यह विस्तार मछलीशहर की सांसद प्रिया सरोज के अनुरोध पर किया गया है, जिन्होंने ग्रामीण विकास मंत्री एवं मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर यह मांग रखी थी।
क्या है प्रधानमंत्री आवासमं योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी)?
यह केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत पात्र ग्रामीण परिवारों को बुनियादी सुविधाओं सहित पक्के घर उपलब्ध कराए जाते हैं। इसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक “सबके लिए आवास” के लक्ष्य को पूरा करना है।
आवास + 2024 सर्वेक्षण क्यों ज़रूरी है?
दिसंबर 2024 में शुरू हुआ यह सर्वेक्षण उन परिवारों की पहचान के लिए है जो अब तक योजना की सूची में शामिल नहीं हो सके थे – जैसे बेघर, कच्चे घरों में रहने वाले या पहले के सर्वेक्षणों में छूटे ग्रामीण परिवार। यह कार्य आवास + मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से किया जा रहा है।
क्यों बढ़ाई गई समय सीमा?
जौनपुर, वाराणसी, गाजीपुर, सुल्तानपुर सहित कई जिलों में सर्वेक्षण के दौरान तकनीकी और परिचालन संबंधी बाधाएं आने के कारण कई पात्र परिवार सूचीबद्ध नहीं हो पाए थे। सांसद प्रिया सरोज ने इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार से समय सीमा बढ़ाने का आग्रह किया था, जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है।
नई समय सीमा और निर्देश:
सर्वेक्षण की नई अंतिम तिथि: 15 अक्टूबर 2025 तक
निर्देश: राज्य सरकार को कहा गया है कि इस विस्तारित अवधि में सभी पात्र परिवारों की पहचान कर आवास + मोबाइल एप के माध्यम से डेटा अपलोड किया जाए।
संबंधित पत्र की प्रतिलिपि ग्रामीण विकास आयुक्त, उत्तर प्रदेश सहित संबंधित सभी अधिकारियों को भेजी गई है।
सांसद प्रिया सरोज ने क्या कहा?
सांसद ने कहा —
“प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ हर उस परिवार तक पहुँचना चाहिए जो आज भी कच्चे घर में जीवन बिता रहा है। समय सीमा बढ़ने से हज़ारों परिवारों को पक्के घर का अवसर मिलेगा। मैं इसके लिए केंद्र सरकार की आभारी हूँ।”
पृष्ठभूमि:
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी। अब तक देशभर में तीन करोड़ से अधिक आवासों का निर्माण किया जा चुका है। आवास + सर्वेक्षण इस मिशन के अंतिम चरण के रूप में देखा जा रहा है, ताकि कोई पात्र परिवार वंचित न रह जाए।