जग में छा गई है पावन ज्योति,
माँ दुर्गा की पूजा की है अनोखी प्रीति।
शैलपुत्री का शुभ आशीष मिले,
ब्रह्मचारिणी से तप का तेज मिले।
चंद्रघंटा की ध्वनि गूँजे हर द्वार,
कूष्मांडा से जीवन हो सुखसार।
स्कन्दमाता का ममता-भरा आंचल,
कात्यायनी से मिलें साहस अमल।
कालरात्रि हरें अंधकार घना,
महागौरी दे उज्ज्वल जीवन बना।
सिद्धिदात्री दें ज्ञान और बल,
माँ की कृपा से मिटे हर विघ्न जल।
भक्ति से रँगें जीवन के रंग,
हर मन में बजे माँ के जय-गान के संग।
महेंद्र त्रिपाठी करता है वंदन,
माँ से माँगे सबके लिए शुभ जीवन।
— डॉ. महेन्द्र त्रिपाठी, जौनपुर