पूर्वांचल लाईफ जौनपुर
जौनपुर : अभी हाल ही में लखनऊ के लाल और अंतरिक्ष यात्री शुभ्रांशु शुक्ला को यूपी की योगी सरकार ने स्टेट गेस्ट का दर्जा देकर उन्हें बेहद वीआईपी बना दिया। सोशल मिडिया पर ट्रेंड कर रहे शुभ्रांशु शुक्ला को वीआईपी नहीं छात्रों का रोल मॉडल बनाने की जरुरत है जिससे बाकि छात्र प्रेरित हो! उक्त बाते प्रदेश मिडिया के कॉलमिस्ट और पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा ने कही। उन्होंने बताया कि एक दावे के अनुसार अमरीका की डॉ. पेगी व्हिटसन भी गईं थी, जो मिशन की कमांडर थीं। अंतरिक्ष में 675 दिन बिता चुकी हैं। उन्होंने 60 घंटे 21 मिनट के 10 स्पेसवॉक भी किए हैं। यह उनका दूसरा प्राइवेट अंतरिक्ष मिशन था। सावोज उज्नांस्की पोलैंड और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) का प्रतिनिधित्व करने वाले भौतिक विज्ञानी और इंजीनियर हैं। 1978 के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले पोलैंड के दूसरे अंतरिक्ष यात्री थे। हंगरी के टिबोर कापू पॉलीमर प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विकिरण सुरक्षा में विशेषज्ञता रखने वाले मैकेनिकल इंजीनियर एवं मिशन के एक्सपर्ट हैं। कापू 1980 के बाद अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले हंगरी के दूसरे एस्ट्रोनॉट थे। ये सब अंतरिक्ष यात्री रहे पर इनका कोई जुलूस नहीं निकला।शुभ्रांशु शुक्ला का जुलूस देखकर ये तीनों इनफिरियॉरिटी कॉम्पलेक्स से मर जायेंगे। शुभ्रांशु का जुलूस निकालने की बजाय उनका हर महीने किसी बड़े ऑडिटोरियम में सेशन रखा जाता, जिसमें तमाम स्कूलों के बच्चे सवाल जवाब करते और प्रोत्साहित होते, विज्ञान एवं रिसर्च में उनकी दिलचस्पी बढ़ती, लेकिन इन्हीं सब नौटंकी की वजह से लोग भविष्य में अपने को नेता मान राजनीति के दलदल में उतर जाते है और प्रतिभाए नष्ट हो जाती है। यूपी सरकार ने अपने पॉलिटिकल मानसिकता की वजह से शुभ्रांशु के अनुभव का लाभ लेने की बजाय उन्हें उत्पाद बना दिया और उनकी उपलब्धि को तमाशा में बदल दिया। शुभ्रांशु के निजी मेहनत को पॉलिटिक्स निगल लेगा।
जनपद जौनपुर के पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक पंकज सीबी मिश्रा ने आगे कहा कि शुभ्रांशु की अपनी लगन, मेधा, विद्वता, साहस और मेहनत का श्रेय नेतागिरी और भारतीय पॉलिटिक्स शुरू से शुरू से लूट रहा है जो गलत है। रोल मॉडल बनाने की जगह यदि आप किसी को वीआईपी बना रहे तो आप देश को गर्त में धकेल रहे।