तरुणमित्र ब्यूरो
नवी मुंबई।
नवी मुंबई महानगर पालिका (NMMC) में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए अरुणिमा भगत नामक महिला ने अपने परिवार के साथ आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यह आंदोलन मनपा मुख्यालय के बाहर मंगलवार से जारी है, जिसमें उनके वृद्ध सास-ससुर और नाबालिग बच्चे भी साथ शामिल हैं।
अरुणिमा भगत का आरोप है कि मनपा में कार्यरत उप अभियंता सुभाष तुंगार, पंढरीनाथ चवडे और सुभाष सोनवने समेत अन्य अधिकारियों ने विभिन्न परियोजनाओं में करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया है, लेकिन शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, 20 करोड़ रुपये का घोटाला होने का दावा
भगत परिवार का कहना है कि मनपा अधिकारियों ने बार-बार बिना टेंडर के कार्यों के लिए बिल पास कराकर लगभग 20 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं की हैं। इनमें डस्टबिन आपूर्ति, रंगरोगन और सड़क मरम्मत जैसे कार्य शामिल हैं, जिनमें नियमों की अनदेखी कर परिचित ठेकेदारों को काम सौंपा गया।
अरुणिमा भगत ने यह भी बताया कि उनके पति प्रशांत भगत द्वारा किए गए कार्यों के बिल जानबूझकर रोक दिए गए हैं और भुगतान के बजाय उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके मुताबिक, यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि जानलेवा दबाव है जो परिवार को आत्महत्या जैसे चरम कदम उठाने पर मजबूर कर सकता है।
संदेश और ईमेल से प्रशासन को किया गया अवगत, फिर भी चुप्पी
अरुणिमा भगत ने बताया कि उन्होंने कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को दस्तावेज़ और सबूत प्रस्तुत करने का प्रयास किया, लेकिन न तो उन्हें समय दिया गया और न ही उनकी बातों पर कोई प्रतिक्रिया मिली। कई मेल और मैसेज भेजे गए, लेकिन कोई जवाब न मिलने के कारण अब उन्होंने अंतिम उपाय के रूप में आमरण अनशन का रास्ता अपनाया है।
“अब पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं” – अनशनकारी का संकल्प
अरुणिमा भगत और उनके परिवार ने स्पष्ट किया कि जब तक इन अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे अनशन समाप्त नहीं करेंगे। “हमारे पास सारे दस्तावेज़ी सबूत हैं, लेकिन यदि इसके बावजूद हमारी बात नहीं सुनी गई तो यह लोकतंत्र और प्रशासनिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने हाल ही में सांगली जिले में एक सब-ठेकेदार द्वारा की गई आत्महत्या का हवाला देते हुए चेताया कि अगर समय रहते ऐसी घटनाओं पर रोक नहीं लगाई गई तो परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं।
नोट: यह मामला संवेदनशील है और संबंधित अधिकारियों से प्रतिक्रिया लेना, तथा प्रशासनिक पक्ष की जानकारी भी सार्वजनिक करना आवश्यक है ताकि निष्पक्षता बनी रहे।