गंगा का कहर: शेरपुर सहित तटवर्ती गांवों में भारी तबाही, कटान और बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त

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संवाददाता – त्रिलोकी नाथ राय
मुहम्मदाबाद (गाज़ीपुर)।
गंगा नदी के लगातार बढ़ते जलस्तर ने मुहम्मदाबाद तहसील के तटवर्ती गांवों की नींद उड़ा दी है। विशेषकर शेरपुर न्याय पंचायत क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित है, जहां पिछले 30 वर्षों से कटान और बाढ़ की मार झेल रहे ग्रामीण एक बार फिर संकट में घिर गए हैं।

शेरपुर के मुबारकपुर मौजे में ठोकर की सीमा समाप्त होते ही गंगा ने ज़मीन को निगलना शुरू कर दिया है। अब तक कई बीघा उपजाऊ भूमि नदी में समा चुकी है। खेतों में लहलहाती परवल, नेनुआ, मिर्च और टमाटर की फसलें जलमग्न हो चुकी हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

गंगा का पानी अब शेरपुर से आगे बढ़ते हुए फीरोजपुर, धर्मपुरा, आमघाट, भांगड़ नाले होते हुए लालूपुर, जयनगर और कुंडेश्वर गांव तक पहुँच चुका है। इससे इन क्षेत्रों के किसानों की चारे और सब्जियों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। यदि जलस्तर इसी गति से बढ़ता रहा, तो इन गांवों में भी शेरपुर जैसी त्रासदी देखने को मिल सकती है।

स्थानीय किसान रमेश यादव ने बताया कि, “सरकारी ठोकर निर्माण कार्य अधूरा और धीमी गति से चल रहा था, जो बाढ़ के पहले ही बह गया। ठेकेदार द्वारा डाली गई बालू की बोरियाँ भी गंगा में समा गईं, जिससे कटान रुकने के बजाय तेज़ हो गया।”

गांव के अन्य किसान – कमलेश राय, मलखान राय, अखिलानंद राय, आशुतोष राय, मनीष राय, बालाजी राय, दिनेश ठाकुर और ग्राम प्रधान चौधरी सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि केवल मिर्च और टमाटर की नर्सरी में ही करोड़ों का नुकसान हो चुका है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी है।

ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि बाढ़ समाप्त होने के बाद ठोकर निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय निगरानी के साथ गुणवत्तापूर्ण पुनर्निर्माण कराया जाए और इसकी लंबाई बढ़ाई जाए, ताकि भविष्य में गांवों को इस त्रासदी से बचाया जा सके।

वर्तमान हालात को देखते हुए प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग को अविलंब राहत कार्य और सुरक्षा उपाय शुरू करने की ज़रूरत है, ताकि लोगों की जान-माल की हानि को रोका जा सके।

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