रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह जौनपुर
जौनपुर/धनबाद।
कहते हैं कि हौसलों में उड़ान हो तो हालात भी झुक जाते हैं। ऐसा ही कर दिखाया जौनपुर के बक्सा थाना क्षेत्र स्थित छोटे से गांव बीरभानपुर के लाल अभिनव सिंह ने। अभावों और अपनों की कमी को मात देकर उसने अपनी मेहनत से न केवल परिवार, बल्कि जिले का भी नाम रोशन किया।
आईआईटी आईएसएम धनबाद के 45वें दीक्षांत समारोह में शुक्रवार को देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने जब मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक से नवाजा, तो उस मंच पर अभिनव सिंह भी खड़ा था गर्व और उपलब्धि का प्रतीक बनकर।
छात्र अभिनव सिंह को यह सम्मान उसकी तकनीकी दक्षता और शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए दिया गया। लेकिन इस उपलब्धि के पीछे एक मार्मिक कहानी भी है। कुछ महीने पहले ही एक सड़क हादसे में उसने अपने माता-पिता – भोले सिंह और उनकी पत्नी दोनों को खो दिया। जीवन में अचानक आई इस गहरी त्रासदी के बाद भी अभिनव ने हार नहीं मानी। उसने खुद को पढ़ाई में झोंक दिया, और आज उसकी तपस्या रंग लाई।
परिवार के बड़े सदस्य ओम प्रकाश सिंह ने बताया, “अभिनव बचपन से ही विज्ञान और तकनीक में गहरी रुचि रखता था। उसके माँ-बाप और शिक्षकों ने हमेशा उसका हौसला बढ़ाया। आज वो सपने सच कर रहा है।”
जैसे ही यह खबर बीरभानपुर गांव पहुंची, अभिनव के चाचा सत्य प्रकाश सिंह और चाची नीतू सिंह की आंखें खुशी से भर आईं। पूरे गांव में मिठाइयां बंटी, और लोग अभिनव को अपने गांव का हीरो बताने लगे।
भावुक होते हुए चाचा सत्य प्रकाश बोले, “भैया-भाभी आज जहां भी होंगे, उन्हें अपने बेटे पर गर्व होगा। उन्होंने जो संस्कार दिए, आज वही फल दे रहे हैं।”
यह कहानी सिर्फ एक छात्र की नहीं, बल्कि उस उम्मीद की है जो कठिन हालात में भी रास्ता तलाश लेती है। अभिनव उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है जो मुश्किलों से हार मान लेते हैं।