प्रधानमंत्री से मुलाकात की घोषणा पड़ी भारी, किसान नेता अजीत सिंह पांचवें दिन भी नजरबंद

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संवाददाता – आनन्द कुमार
जौनपुर, चंदवक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वाराणसी दौरे के दौरान किसानों की समस्याओं को लेकर मुलाकात की घोषणा करना पूर्वांचल किसान संगठन के नेता अजीत सिंह को महंगा पड़ गया। बोड़सर स्थित उनके आवास को सुरक्षा घेरे में लेकर पुलिस ने उन्हें पांचवे दिन भी नजरबंद रखा।

सूत्रों के अनुसार, जिला प्रशासन को खुफिया इनपुट मिला था कि अजीत सिंह प्रधानमंत्री के वाराणसी कार्यक्रम में पहुंच सकते हैं। इसके बाद से ही पुलिस ने सतर्क रुख अपनाते हुए 28 जुलाई की सुबह से उन्हें उनके घर में ही नजरबंद कर दिया है। उपनिरीक्षक के नेतृत्व में पुरुष व महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती लगातार बनी हुई है, जो चौबीसों घंटे निगरानी कर रहे हैं।

समस्याओं को लेकर था ऐलान, नहीं मिलने दी जा रही आवाज
गौरतलब है कि 25 जुलाई को अजीत सिंह ने जिला मुख्यालय पर हुए धरना-प्रदर्शन में यह घोषणा की थी कि वे प्रधानमंत्री से मिलकर किसानों की समस्याओं को उठाएंगे। उन्होंने नहरों में पानी की कमी, बिजली की अघोषित कटौती और राष्ट्रीय राजमार्ग 233 से प्रभावित किसानों को मुआवजा न मिलने जैसी समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित करने की बात कही थी।

इससे पहले 15 जुलाई को सिंचाई और बिजली विभाग के अधिशासी अभियंताओं को ज्ञापन भी सौंपा गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर संगठन ने आंदोलन का रुख अपनाया।

परिवार भी नजरबंद, पढ़ाई पर असर:
नजरबंदी की जानकारी मिलते ही जिला पंचायत सदस्य ऊषा किरन, उपेंद्र सिंह, प्रमोद सिंह समेत कई किसान नेता उनसे मिलने पहुंचे, लेकिन पुलिस हर आने-जाने वाले पर कड़ी नजर बनाए हुए है।

अजीत सिंह ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पूरी तरह अलोकतांत्रिक है। उनका बेटा आर्यन जो वाराणसी में कक्षा 7 में पढ़ता है, वह भी आवागमन न होने से पढ़ाई से वंचित हो रहा है। उन्होंने कहा कि पूरा परिवार नजरबंद है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अनुचित है।

सवाल खड़े कर रहा पुलिसिया रुख:
पूर्वांचल में किसानों की समस्याओं को लेकर आवाज उठाने वाले नेता को नजरबंद करने की यह कार्यवाही अब प्रशासन की नीयत पर भी सवाल खड़े कर रही है। किसान संगठन इसे जनतांत्रिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं।

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