परीक्षार्थियों ने लगाए गंभीर आरोप
जौनपुर।
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) सिद्दीकपुर में सोमवार को ऑनलाइन सीबीटी मोड में आईटीआई की परीक्षाएं भारी अव्यवस्थाओं और हंगामे के बीच शुरू हुईं। परीक्षा के पहले ही दिन छात्रों को पीने के पानी, खराब सिस्टम और तकनीकी गड़बड़ियों से जूझना पड़ा, वहीं कुछ परीक्षार्थियों ने “सुविधा शुल्क” के नाम पर साल्वर बैठाने और सीसीटीवी कैमरों की दिशा बदलने जैसे गंभीर आरोप लगाए।
जिले के 122 आईटीआई कॉलेजों के छात्रों के लिए दो परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें पहला केंद्र सिद्दीकपुर स्थित राजकीय आईटीआई है, जहां तीन पालियों में परीक्षा आयोजित की गई। बारिश के बीच गीले कपड़ों में पहुंचे छात्रों को परिसर के बाहर घंटों खड़ा रहना पड़ा। परिसर में न तो छाया की व्यवस्था थी, न ही पीने के पानी का इंतजाम।
सिस्टम फेल, कोई बैकअप नहीं:————
करीब 200 से अधिक कंप्यूटर सिस्टम लगाए गए थे, लेकिन कई सिस्टम परीक्षा के दौरान बंद हो गए या बार-बार ट्रिप करते रहे। अतिरिक्त सिस्टम न होने की वजह से कई परीक्षार्थियों को परीक्षा के बीच इंतजार करना पड़ा या दूसरे कमरों में भेजा गया।
“सुविधा शुल्क” वालों को विशेष सुविधा!———
कई छात्रों ने आरोप लगाया कि कुछ परीक्षार्थियों से कॉलेज प्रशासन ने “सुविधा शुल्क” के नाम पर पैसा लेकर उन्हें विशेष सुविधा दी। आरोप है कि इन परीक्षार्थियों को साल्वर मुहैया कराए गए, जो कक्ष निरीक्षक की भूमिका में रहकर उनके कंप्यूटर स्क्रीन पर सीधे उत्तर बता रहे थे। वहीं जिन छात्रों ने शुल्क नहीं दिया था, उन्हें खराब या धीमे सिस्टम पर बैठाया गया।
सीसीटीवी कैमरे की निगरानी पर भी उठे सवाल:————
परीक्षा के दौरान एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया—सीसीटीवी कैमरों की दिशा बदल दी गई थी। इससे परीक्षार्थियों और सिस्टम की निगरानी में भारी चूक हुई। प्रशासन की ओर से यह दावा किया गया था कि परीक्षा पूरी तरह कैमरे की निगरानी में होगी, लेकिन छात्रों ने इसे सिर्फ दिखावा करार दिया।
जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी:——-
जब इस संबंध में परीक्षा केंद्र के जिम्मेदार अधिकारियों से सवाल किए गए तो उन्होंने जवाब देने से साफ इनकार कर दिया। उधर, शाहगंज के उसरहटा स्थित दूसरे परीक्षा केंद्र से भी अव्यवस्था की खबरें सामने आई हैं।
निष्कर्ष:——–
जहां एक ओर आईटीआई की परीक्षाएं छात्रों के भविष्य को तय करती हैं, वहीं प्रशासन की लापरवाही और पक्षपातपूर्ण रवैया कई सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि इन गंभीर आरोपों पर जिला प्रशासन या उच्च शिक्षा विभाग क्या कदम उठाता है।