नाग पंचमी: वैज्ञानिक चेतना और सांपों से सह-अस्तित्व का पर्व : डॉ. दिलीप कुमार सिंह

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भारत की सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक चेतना ने हमें यह सिखाया है कि जीवन के हर तत्व में ईश्वर का अंश है चाहे वह जीवित हो या निर्जीव। इसी दर्शन का प्रतीक है नाग पंचमी – एक ऐसा पर्व जो केवल सांपों की पूजा का नहीं, बल्कि प्रकृति, पर्यावरण और जीवन संतुलन का महापर्व है।

क्यों मनाते हैं नाग पंचमी?

सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नाग पंचमी भारतीय संस्कृति की उस परंपरा का हिस्सा है, जिसमें हम उन जीवों का सम्मान करते हैं, जिनसे आमतौर पर भय होता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि भय से बचने का सर्वोत्तम उपाय ज्ञान और सम्मान है।

नाग पंचमी के दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई कर, दीवारों पर नाग की आकृतियां बनाते हैं और सांपों को दूध व खीर चढ़ाकर उनका पूजन करते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि इस दिन नागों का दर्शन व पूजन जीवन में सौभाग्य और सुरक्षा प्रदान करता है।

सांप: भय या विज्ञान?

भारत जैसे देश में जहां हर वर्ष हजारों लोग सांपों के काटने से मरते हैं, वहां नाग की पूजा एक गूढ़ संकेत देती है यह श्रद्धा नहीं, सह-अस्तित्व की सीख है।

सांपों की अनेक प्रजातियां होती हैं, जिनमें कोबरा (नाग), करैत, रसेल वाइपर, और क्रेट अत्यधिक विषैले होते हैं। फिर भी यह जीव प्रायः शांत रहते हैं और केवल तब ही हमला करते हैं जब उन्हें खतरा महसूस होता है। सांप के विष से कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों की औषधियां भी बनाई जाती हैं। उनका पारिस्थितिक महत्व भी कम नहीं – वे खेतों में चूहों और कीटों को नियंत्रित कर कृषि की रक्षा करते हैं।

नागवंश और सांपों से ऐतिहासिक संबंध:-

प्राचीन काल में ‘नाग’ केवल सांप नहीं थे, बल्कि एक संपूर्ण जाति थी जो गुफाओं, वनों और पर्वतीय क्षेत्रों में निवास करती थी। वे जड़ी-बूटियों और विष विज्ञान में पारंगत थे। महाभारत में अर्जुन और उलूपी, घटोत्कच, मेघनाथ और सुलोचना जैसे नागवंशी संबंधों का उल्लेख मिलता है। यह बताता है कि नागवंश और आर्य संस्कृति के बीच गहरा संबंध था।

नाग पंचमी: चिकित्सा और तंत्र का संतुलन:-
सांप के काटने पर आधुनिक चिकित्सा अवश्य सर्वोत्तम उपाय है, लेकिन जहां सुविधा उपलब्ध न हो, वहां परंपरागत उपायों में नीम की पत्ती, काली मिर्च, घी, और विशेष मंत्रों का उल्लेख भी किया गया है।

माना जाता है कि “ॐ कुरुकुल्ये हूं फट् स्वाहा” जैसे मंत्रों का जाप मानसिक साहस और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। साथ ही, कुछ नाम जैसे वासुकी, जरत्कारु आदि सांपों से रक्षा का प्रतीक माने जाते हैं।

नाग पंचमी और सांस्कृतिक उत्सव:-

यह पर्व केवल पूजा तक सीमित नहीं है – दंगल (कुश्ती), लंबी कूद (कूड़ी), पारंपरिक पकवान और लोक गीत इसे एक सामूहिक सांस्कृतिक उत्सव का रूप देते हैं। यह शरीर, मन और समाज – तीनों के संतुलन का पर्व बन जाता है।

आज के संदर्भ में नाग पंचमी:-
आज जब शहरीकरण के कारण सांपों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है, तो उनके मानव बस्तियों में आने की घटनाएं बढ़ रही हैं। नाग पंचमी हमें यह याद दिलाती है कि जैसे हम अपने लिए स्थान चाहते हैं, वैसे ही अन्य जीवों को भी उनका स्थान चाहिए।

यह पर्व एक प्राकृतिक चेतना, पर्यावरणीय संतुलन और सांपों के संरक्षण का संदेश देता है। यह हमें भय को श्रद्धा में बदलने और अंधविश्वास को ज्ञान में रूपांतरित करने की प्रेरणा देता है।

निष्कर्ष:-
नाग पंचमी सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दर्शन का उत्सव है, जो हमें बताता है कि सृष्टि में हर जीव का अपना स्थान, योगदान और महत्व है। यह पर्व प्रकृति से जुड़ने, जीवों के प्रति संवेदनशील बनने और जीवन के हर स्तर पर संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा है।

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