विद्युत उपकेंद्र पर निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों की पंचायत, जनजागरण अभियान भी चलाया गया

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बिंदाबाजार (आजमगढ़)।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में शनिवार को मोहम्मदपुर स्थित 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र पर विद्युत कर्मियों ने बिजली पंचायत का आयोजन किया। इस पंचायत का उद्देश्य आम जनता, उपभोक्ताओं, किसानों, बुनकरों और छात्रों को संभावित दुष्परिणामों से अवगत कराना था।

कार्यक्रम का आयोजन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन तथा विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ की आजमगढ़ इकाई ने संयुक्त रूप से किया। वक्ताओं ने कहा कि बिजली अब आम जनजीवन की मूलभूत आवश्यकता बन चुकी है, और निजीकरण से इसकी आपूर्ति और मूल्य दोनों पर गंभीर असर पड़ेगा।

वक्ताओं ने जताई चिंता:
बिजली पंचायत में वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि निजीकरण के बाद बिजली की दरों में तीव्र वृद्धि संभव है, जिससे आमजन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। छात्रों के रोजगार के अवसर घटेंगे, किसानों और बुनकरों को मिलने वाली सब्सिडी बंद होने की आशंका है। इससे कृषि और कुटीर उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं। वक्ताओं ने चेताया कि यह फैसला समाज को फिर से ‘लालटेन युग’ की ओर ले जा सकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता इंजीनियर निखिल शेखर सिंह ने की, जबकि संचालन प्रभु नारायण पांडे “प्रेमी” ने किया। इस अवसर पर बाल गोविंद यादव, विनोद कुमार राव, अबू बकर, कंडारी यादव सहित कई जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

उपस्थित प्रमुख पदाधिकारी और प्रतिनिधि:
इंजीनियर उपेंद्रनाथ चौरसिया, चंद्रशेखर, जयप्रकाश यादव, धीरज पटेल, वीर विक्रम सिंह, राजू कुमार, काशीनाथ गुप्ता, गिरीश यादव, संदीप चंद्र, महेश गुप्ता, नीरज त्रिपाठी, राम उजागर पाल, विनय मौर्य, अवधेश यादव, महानंद, संदीप कुमार, हेमंत यादव, रोशन यादव, रमाकांत यादव, अजय यादव और सत्य कुमार सहित दर्जनों कर्मी और संगठन प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में सभी ने एक सुर में सरकार से निजीकरण की योजना को वापस लेने की मांग की और आंदोलन को आगे भी जारी रखने की चेतावनी दी।

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