“शहर का स्वाभिमान या गंदगी का मैदान? घाटों पर थूक ने छीनी रौनक”

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“गोपीघाट और नवदुर्गा घाट की सुंदरता पर थूक का ग्रहण, जिम्मेदार कौन?

जौनपुर।
नगर की शान और गंगा-तमसा के किनारे बसे प्रसिद्ध गोपीघाट और नवदुर्गा घाट, जो सद्भावना पुल के नीचे स्थित हैं, इन दिनों अपने सौंदर्य के लिए नहीं बल्कि बदसूरती के कारण चर्चा में हैं। हर शाम यह इलाका शहरवासियों के लिए एक लोकप्रिय सैरगाह बनता है, जहाँ लोग अपने परिवारों संग नदी की लहरों, नावों की सवारी और घाट की शांति का आनंद लेने आते हैं।

लेकिन अफसोस, घाट की सीढ़ियों और दीवारों पर थूक कर पान-गुटखा और दोहरे के शौकीनों ने इसकी खूबसूरती पर दाग लगा दिए हैं। न सिर्फ घाट का सौंदर्य खराब हो रहा है, बल्कि यह सार्वजनिक जगहों पर गंदगी फैलाने की गंभीर मानसिकता को भी उजागर करता है।

पत्रकारों द्वारा मौके पर खींची गई तस्वीरें इस बदहाली की गवाही देती हैं घाट की सीढ़ियाँ और आसपास की दीवारें पीक से सनी पड़ी हैं, जिससे न केवल बदबू फैल रही है बल्कि यह नगर निगम और स्थानीय प्रशासन की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रही हैं।

क्या हमारा नगर सौंदर्य और स्वच्छता के प्रति इतना लापरवाह हो चुका है?
अब वक्त आ गया है कि नगरवासी खुद जागरूक बनें और साथ ही प्रशासन सख्त कार्यवाही करते हुए घाट क्षेत्र को ‘नो थूकिंग ज़ोन’ घोषित कर, निगरानी के पुख्ता इंतज़ाम करे।

क्योंकि जब तक हम खुद अपने शहर का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक कोई भी इसे स्वच्छ और सुंदर नहीं बना सकता।

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