वाराणसी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गुरुवार को जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत संविदा एवं स्थायी फार्मासिस्टों ने अपने सम्मान और अधिकारों की मांग को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय पहुंचकर विरोध जताया।
सम्मान की मांग, व्यवहार में सुधार की गुहार:———–
फार्मासिस्टों का आरोप है कि उन्हें लगातार प्रशासनिक स्तर पर उपेक्षा और अपमान का सामना करना पड़ रहा है। कुछ स्थानों पर उच्च अधिकारियों और प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों द्वारा अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जाता है। एक फार्मासिस्ट ने बताया, “जब काम निकलता है तो हमें दिन-रात की परवाह किए बिना बुलाया जाता है, लेकिन सम्मान देने की बात आती है तो नजरअंदाज कर दिया जाता है।”
कर्तव्य के प्रति समर्पण, पर बदले में नहीं मिला सम्मान:————
फार्मासिस्टों ने यह भी बताया कि उन्होंने 2024 की ठंड में भी NQAS मूल्यांकन कार्य के दौरान देर रात 8 बजे तक ड्यूटी निभाई थी, फिर भी उनके कार्य को सराहा नहीं गया। जिला स्तर से जारी किसी भी आदेश का पूरी निष्ठा से पालन किया गया, बावजूद इसके उन्हें सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता।
स्वास्थ्य तंत्र के ‘अदृश्य आधार’ हैं पैरामेडिकल स्टाफ:————
फार्मासिस्टों ने कहा कि पैरामेडिकल स्टाफ जैसे कि स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, रेडियोलॉजिस्ट एवं फार्मासिस्ट के बिना स्वास्थ्य सेवाओं की कल्पना अधूरी है, लेकिन फिर भी उन्हें वह स्थान नहीं दिया जा रहा जिसके वे हकदार हैं।
सीएमओ ने दिया आश्वासन
सीएमओ कार्यालय पहुंचे फार्मासिस्टों की बात सुनने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने उन्हें उचित सम्मान और व्यवहार को लेकर आश्वासन दिया। साथ ही दुर्व्यवहार की शिकायतों पर अग्रिम कार्यवाही की बात कही गई।
अंतिम चेतावनी बात नहीं सुनी गई तो आंदोलन:————
फार्मासिस्टों ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी समस्याओं और मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे अपर स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क कर चरणबद्ध आंदोलन की ओर बढ़ेंगे।