प्रयागराज।
रविवार को अथर्वन फाउंडेशन ने मानसून 2025 के आगमन पर वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ किया। अभियान की शुरुआत प्रयागराज के छावनी क्षेत्र स्थित चैथम लाइन, सैलोरी रोड, मजार चौराहा के समीप हुई, जहाँ नीम, पीपल, और अन्य प्रजातियों के 25 पौधे ट्री गार्ड के साथ रोपे गए। इस अवसर पर संस्था की सचिव डॉ. कंचन मिश्रा, उपाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह, और डॉ. रश्मि भार्गव समेत कई कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहे।
2024 की उपलब्धियों से प्रेरित
पिछले वर्ष, अथर्वन फाउंडेशन ने 2600 पौधारोपण का कीर्तिमान स्थापित किया था। इस वर्ष, संस्था ने 5100 पौधे लगाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। यह अभियान पर्यावरण संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने की दिशा में संस्था का एक और सशक्त कदम है।
समुदाय की सहभागिता
इस अभियान में फाउंडेशन के सदस्यों के साथ स्थानीय निवासियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सभी ने न केवल पौधों को रोपने में योगदान दिया, बल्कि उनकी देखभाल करने का संकल्प भी लिया।
संस्था सचिव डॉ. कंचन मिश्रा ने कहा, “यह तो केवल शुरुआत है। जैसे-जैसे मानसून गति पकड़ेगा, हमारा अभियान भी तेज होगा।”
राजस्थान में भी दिखा प्रभाव
अभियान का दायरा केवल प्रयागराज तक सीमित नहीं रहा। संस्था के सदस्य हरि विजय सिंह के सहयोग से राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के मोहर मंगरी क्षेत्र में 100 से अधिक पौधे लगाए गए। इस पहल के तहत नीम, बेल, आंवला, अमरूद, कटहल, और आम जैसे पौधों का चयन किया गया। यह वृक्षारोपण हरियाली के प्रति समर्पण और स्थानीय समुदाय के समर्थन को दर्शाता है।
प्रतिभागियों की प्रेरणा
इस अभियान में ठाकुर स्नेहलता सिंह, डॉ. अलका श्रीवास्तव, डॉ. सुमन दुबे, सुरेश तिवारी, अंकित पाठक, हेमंत कुमार, डॉ. नीलम पांडेय, वंदना अग्रवाल, आशा सिंह, सुषमा सिंह, प्रीति गोयनका, प्रीति गुप्ता, मधु, कल्पना, जितेंद्र मिश्रा, राखी खेड़ा, अर्चना, और मुलायम यादव जैसे सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भविष्य की योजनाएँ
डॉ. कंचन मिश्रा ने आगे बताया कि यह अभियान देश के अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जाएगा। “हमारा उद्देश्य केवल पौधे लगाना नहीं, बल्कि उनकी सही देखभाल करना और पर्यावरणीय चेतना को जन-जन तक पहुँचाना है।”
संस्था का दृष्टिकोण
अथर्वन फाउंडेशन न केवल वृक्षारोपण के माध्यम से हरियाली बढ़ाने की दिशा में कार्यरत है, बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता के प्रसार और समुदायों को इस मुहिम में शामिल करने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
मानसून के हर बूँद के साथ, अथर्वन फाउंडेशन हरित भविष्य की ओर एक कदम और बढ़ा रहा है। 🌱