जौनपुर। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के उपलक्ष्य में शनिवार को सैनिक कल्याण बोर्ड परिसर में एक भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह का आयोजन सद्भावना मंच और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में किया गया, जिसमें भूतपूर्व सैन्य अधिकारियों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम की अगुवाई वरिष्ठ भाजपा नेता नीरज कुमार सिंह ने की। उन्होंने अपने दल के साथ मिलकर रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों को अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका सम्मान किया। इस अवसर पर भूतपूर्व सैनिकों ने अपने अनुभव साझा किए और सेना के साहसिक अभियानों पर प्रकाश डाला।
ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा और उसकी सफलता
पूर्व सैनिकों ने ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सेना के साहस और समर्पण का प्रतीक बताते हुए कहा कि इस अभियान में कठिन परिस्थितियों के बावजूद सैनिकों ने अदम्य धैर्य और वीरता का परिचय दिया। यह अभियान भारतीय सेना की रणनीतिक कुशलता और देशभक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण है।
नेताओं और सैनिकों के संबोधन
समारोह में भाजपा के कई प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया, जिनमें रोहित सिंह भारद्वाज, भूपेंद्र सिंह, सुधांशु सिंह, डॉ. कमलेश निषाद, सुरेश अस्थाना, आलोक गुप्ता, डॉ. अजय सिंह, विनय सिंह, आशीष सिंह दुर्गवंशी, निखिल सिंह, शरद शुक्ला, प्रमोद कुमार सिंह, शुभम तिवारी, रजत सिंह और अन्य शामिल थे।
नीरज कुमार सिंह ने अपने संबोधन में हाल ही में सैनिकों के खिलाफ प्रयोग किए गए जातिसूचक शब्दों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “सैनिक न किसी जाति के होते हैं, न किसी धर्म के। वे केवल भारत माता के सेवक होते हैं। उनके सम्मान से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
सैनिकों की भावनात्मक अपील
पूर्व सैनिकों ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि युद्ध के मैदान में न जाति देखी जाती है और न धर्म। वहां केवल देश के प्रति समर्पण मायने रखता है। उन्होंने यह अपील की कि सेना को राजनीति से दूर रखा जाए और सैनिकों को जातिगत नजरिए से न देखा जाए।
सम्मानित हुए भूतपूर्व सैन्य अधिकारी
सम्मानित किए गए अधिकारियों में डॉ. राजेश कुमार, के के सिंह, बी एन दूबे, कैप्टन अजीत पांडेय, बलराम सिंह, देवेंद्र सिंह, के के दूबे, लाल बहादुर यादव, लाल चंद्र मौर्य, तेज कुमार सिंह, राकेश सिंह, बनारसी यादव, राज बहादुर पाल, अनिल कुमार सिंह, अशोक कुमार, और पन्ना लाल शामिल थे।
देशभक्ति से सराबोर माहौल
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित जनसमूह ने भारत माता की जयकारों के बीच पूर्व सैनिकों के सम्मान में जोरदार तालियों से माहौल को देशभक्ति के रंग में रंग दिया। यह आयोजन न केवल सैनिकों के योगदान को मान्यता देने का एक प्रयास था, बल्कि समाज में उनके प्रति आदर और सम्मान की भावना को प्रकट करने का भी एक संदेश था।
यह सम्मान समारोह भारतीय सेना के प्रति समाज के अटूट प्रेम और विश्वास को दर्शाने वाला एक प्रेरणादायक आयोजन बन गया।