जौनपुर : शनिवार देर रात जैसे भारतीय क्रिकेट टीम ने बारबडोस क्रिकेट स्टेडियम में दूसरी बार टी-20 ट्रॉफी उठाई पूरा जौनपुर और प्रदेश भर के क्रिकेट प्रेमी जश्न में डूब गए। बधाइयों का ताता लगा और लोगो ने पटाखे जला कर जश्न मनाया। जौनपुर से कई जनप्रतिनिधियों सहित प्रदेश भर के लोगो ने सोशल साइट्स पर पोस्ट लिख कर टीम इंडिया को अपनी शुभकामनायें प्रेषित की। जौनपुर के पत्रकार और मिडिया विश्लेषक पंकज सीबी मिश्रा ने भारतीय क्रिकेट टीम को बधाई देते हुए लिखा की चार विश्वकप में से तीन विश्वकप का फाइनल जीतते देखना सुखद अनुभव है। आज क्रिकेट पैसा और ग्लैमर का बेहतरीन प्लेटफार्म है और जौनपुर वाराणसी सहित प्रदेश से प्रतिभावान खिलाड़ी निकल कर देश का प्रतिनिधित्व कर रहें। खेलों के जानकार और कई खेल आर्टिकल लिखने वाले पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा ने कहा कि पूर्व महान क्रिकेट खिलाड़ी और वर्तमान कोच राहुल द्रविड़ को इससे अच्छी विदाई नहीं मिल सकती। रोहित और कोहली के फटाफट क्रिकेट के सन्यास के बारे में उन्होंने कहाँ कि यह प्रेसर और फिटनेस गेम है, नए क्रिकेटर इसमें जल्दी फिट हो जाते है इसलिए रोहित और कोहली ने सही समय चुना सन्यास के लिए। उन्होंने फाइनल मैच के अनुभवों को साझा करते हुए लिखा कि दक्षिण अफ्रीका की पारी का सोलहवा ओवर याद करिए! चौबीस गेंद में दक्षिण अफ़्रीकी टीम को केवल छब्बीस रन बनाने थे और उनके पास छह विकेट थे । क्रीज़ पर जो बल्लेबाज थे वे धुंआधार खेल रहे थे। क्या उस अफ्रीका के समर्थकों को जीत स्पष्ट नहीं दिख रही होगी ? क्या उस समय हमको आपको हार नहीं दिखने लगी थी? अधिकतर ने तो भारतीय टीम को कोसकर मोबाईल और टीवी बंद कर दी होगी । मैंने देखा मुझे ना जाने क्यों यकीन था कि नहीं इस बार नहीं जायेगा ये कप ! मेरे ही असंख्य मित्रों ने फेसबुक पर भारत की हार घोषित कर दी और अपनी भड़ांस निकालने लगे थे। यह स्वभाविक था। सबको ऐसा ही लगने लगा था। मैं भी मन ही मन अक्षर को कोसने लगा था। बस एक हल्की सी उम्मीद थी कि कुछ हो जाय तो मजा आ जाय, वही विशुद्ध भारतीय भाव ! संकट में सिर्फ ‘जय हनुमान जी, दिखाइए न अपनी लीला ! वाला टिपिकल देहाती भाव हे बरम बाबा, हे काली माई हे राम प्रभु ! ठीक उसी समय अफ्रीका के क्लासेन का विकेट गिरा और जैसे हार के जबड़े से छूट कर जीत निकल आई। बुमराह और पांड्या अपनी लय में लौट आये, सूर्य कुमार सौ सालों तक याद रखा जाने वाला वह कैच लपक लिए जो कपिल देव के कैच कि श्रेणी में रखा जायेगा और झटके में सब बदल गया।जिन्दगी ठीक ऐसे ही रंग बदलती है ! बस भरोसा रखना होता है। अपने कर्म पर भरोसा रखने से बल मिलता है तो कर्म पर रखिये, यदि ईश्वर पर भरोसा रखने से बल मिले तो देवी देवता को गोहराइये, पर भरोसा रखिये कि दिन पलटेंगे। ईश्वर हर रोहित शर्मा को कभी न कभी यह सोलहवाँ ओवर ऐसे करवाने की प्रेरणा जरूर देता है। हर सूर्य कुमार यादव के पास कभी न कभी वह गेंद जरूर आती है जिसे लपक कर वह इतिहास बना देता है।पिछले साल जब विश्वकप फाइनल में इंडिया हारी तो प्रसिद्ध कवि स्वयं श्रीवास्तव ने अपने पेज अपनी एक कविता की पंक्ति लिखी- हम इसी दरबार में लौटेंगे और राजा बनेंगे। बस छह सात महीने ही तो हुए हैं दोस्त! स्वयं का गीत और उनका भरोसा, दोनों जीत गए। तो कुल मिला कर बात यह कि जिन्दगी पर भरोसा रखिये। पूरे टूर्नामेंट में फेल रहने वाला कोहली भी फाइनल में मैन ऑफ द मैच बन सकता है। समय आपको जिस दिन चाहेगा, हीरो बना देगा। रोहित विराट और द्रविड़ की इससे बेहतर विदाई नहीं हो सकती थी। और जिस शानदार तरीके से नए लड़कों को राजपाट सौंप कर वे स्वयं किनारे हो गए हैं, वह उन्हें और बड़ा बनाता है। आओ लड़कों, उठाओ देश का झंडा और लिखो नया इतिहास, हम अपने हिस्से की खेल चुके। यही है असली खिलाड़ी वाला भाव। जय हिन्द। पूरे हिंदुस्तान को बधाई। पूरे भरतीय क्रिकेट टीम को बधाई।
चर्चा : भारत के विश्व चैम्पियन बनने पर जौनपुर सहित पूरे प्रदेश में जश्न
