प्रतिबंधित पन्नी में पानी का कारोबार जोरों पर, मानकों की हो रही अनदेखी

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जौनपुर जिले में प्रतिबंधित पन्नी में पानी भरकर बेचे जाने का कारोबार तेज़ी से फल-फूल रहा है। प्रशासन और संबंधित विभागों की उदासीनता के चलते यह अवैध धंधा बेधड़क चल रहा है। प्रतिबंध के बावजूद पानी पाउच का निर्माण, पैकेजिंग और बिक्री बड़े पैमाने पर हो रही है।

गुणवत्ता जांच का अभाव

पानी पाउच की गुणवत्ता की कोई जांच नहीं की जा रही है। इस पानी का स्रोत और उसकी शुद्धता संदिग्ध है। स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से इस पर किसी तरह की सख्ती या नियमित निगरानी नहीं की जा रही है। ऐसे पानी पाउच को खुलेआम बेचा जा रहा है, जो आम जनमानस के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।

शराब की दुकानों पर धड़ल्ले से बिक्री

जिले में देशी और अंग्रेजी शराब की दुकानों के पास इन पानी पाउच की बिक्री जोरों पर है। इन पाउचों से बदबू आती है और इनकी पैकेजिंग भी मानकों के अनुरूप नहीं होती। यह साफ दिखाता है कि पानी को बिना किसी गुणवत्ता परीक्षण के बेचा जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि शराब की दुकानों पर यह पाउच आसानी से उपलब्ध होते हैं और इन्हें खुलेआम बेचा जा रहा है।

प्रशासन की उदासीनता

प्रशासन की ओर से इस समस्या पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। हालाँकि, पन्नी में पानी भरकर बेचने पर प्रतिबंध है, लेकिन इसका पालन कराने में अधिकारी विफल साबित हो रहे हैं। विभागीय लापरवाही के कारण पानी पाउच का अवैध कारोबार तेज़ी से बढ़ रहा है।

जनता को खतरा

इस तरह के पानी पाउच का उपयोग करने से लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। दूषित पानी के कारण डायरिया, हैजा और अन्य जलजनित रोग फैलने की आशंका रहती है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से अपील की है कि इस अवैध धंधे पर जल्द से जल्द रोक लगाई जाए और पानी पाउच की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।

जरूरी कार्रवाई की मांग

स्थानीय लोग चाहते हैं कि प्रशासन और खाद्य सुरक्षा विभाग इस मामले में तुरंत कार्रवाई करें। पानी पाउच बनाने वाली फैक्ट्रियों और दुकानों पर छापेमारी होनी चाहिए। साथ ही, ऐसे पानी पाउच को जब्त कर उनके निर्माण पर रोक लगाई जानी चाहिए।

निष्कर्ष:
जौनपुर जिले में पानी पाउच का अवैध कारोबार केवल स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो इसका दुष्प्रभाव जनस्वास्थ्य और पर्यावरण पर गहराई से पड़ेगा।

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