रचनाकार…
जितेन्द्र कुमार दुबे
अपर पुलिस उपायुक्त, लखनऊ
अकस्मात जीवन में आना…फिर धीरे से प्रासंगिक हो जाना…कोई तुमसे सीखे पगली….!ख़ुद में ही व्याख्या हो जाना…गति,लय,छन्द,रस,अलंकार…सच मानो सब तुमसे है….!जीवन तुमसे ही तो बना सुहाना…फिर क्यों ना कुछ अच्छा बोलूँ…!जब हो….तुम्हारे जन्मदिवस का…आज अच्छा- खासा सा बहाना….फिर प्यारी आज सुन ले तू मुझसे…बहुत-बहुत मुबारक हो तुमको…!आज के दिन….तेरा धरती पर आना…
