ग़ज़ल- मुद्दा बदल दिया गया मुद्दे की बात पर

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उठ कर ही चल दिया गया मुद्दे की बात पर
मुद्दा बदल दिया गया मुद्दे की बात पर

मैं अपनी पीढ़ियों से यही पूछती हूँ फिर
कितना दख़ल दिया गया मुद्दे की बात पर

जब रोज़गारी माँगती बे-रोज़गार क़ौम
उनको कुचल दिया गया मुद्दे की बात पर

दिन-रात परीक्षाओं की करते तैय्यारियाँ
बोलो क्या हल दिया गया मुद्दे की बात पर

कोई परीक्षा तिथि नहीं तय होती आपसे
हम सब को कल दिया गया मुद्दे की बात पर

वंदना “अहमदाबाद”
ई-मेल- vspandey1984@gmail.com

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