जौनपुर। मां शीतला चौकियां धाम में बुधवार को सैकड़ों महिलाओं ने अपने पुत्र की दीर्घायु एवं मंगलकामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत का पूजन किया। चौकियां धाम मंदिर के बगल में स्थित पवित्र कुण्ड के पास सैकड़ों व्रती महिलाएं गाजे बाजे के साथ पूजन स्थल पहुंचीं। रोट, प्रसाद, फल, फूल, हल्दी लेपन करके जिऊतिया माता का पूजन विधि विधान से कीं। हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारम्भ होकर नवमी तिथि को जितिया व्रत सम्पन्न होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत मंगलवार 24 सितम्बर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से हुआ है। इसका समापन बुधवार 25 सितम्बर को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में उदया तिथि को माना जाता है। इस कारण बुधवार 25 सितंबर को दिन-रात महिलाओं ने निर्जला उपवास रखकर पूजन किया। यह व्रत संतान की लम्बी आयु, सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, मंगलकामना के लिए रखा जाता है। इस व्रत को जितिया या जिउतिया व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड के कुछ हिस्सों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार जब अश्वथामा ने पांडवों के सोते हुए सभी बेटों और अभिमन्यु के अजन्मे बेटे को मार दिया था। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के पोते को गर्भ में ही जीवित कर दिया। इसी वजह से अर्जुन के इस पोते का नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा। आगे चलकर यही बच्चा राजा परीक्षित बना। मान्यता के अनुसार यही कारण है कि माताएं अपने बेटे की लंबी उम्र के लिए यह कठिन निराजल व्रत करती हैं।
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