भगवान राम के जन्मदिवस के पावनतम शुभ अवसर पर शीतल मंद सुगंध पवन लेकर बसंत ऋतु आई है कूक रही पेड़ों पर कोयल धन लगती शहनाई है।
भगवान श्री राम एक तो अवतारी पुरुष हैं दूसरे भगवान विष्णु के अवतार हैं तीसरे कबीर दास जी के अनुसार राम एक निराकर परब्रह्म परमात्मा है जो सब का सर्जन और पालन करने वाले हैं भगवान श्री राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था इसलिए नवमी और श्री राम को मिलाकर इसका नाम श्री राम नवमी माहापर्व रखा गया है इसका वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी अपने विश्व काव्य रामचरितमानस में कहते हैं चैत्र मास मधुमास पुनीता अर्थात जब चैत्र माह में बसंत ऋतु का महान समय था तब शुभ घड़ी और शुभ नक्षत्र में भगवान श्री राम का प्राकट्य हुआ था तब शीत और घाम दोनों बराबर थे परम पवित्र मंगलवार का दिन था और इसी दिन उनके अन्य सेवक रुद्र अवतार बजरंगबली का भी जन्मदिन हुआ था।
भगवान श्री राम और भारतवर्ष संपूर्ण भारत में पृथ्वी के स्वर्ग कश्मीर से समुद्र के स्वर्ग कन्याकुमारी तक वर्षा और हरियाली के स्वर्ग असम चेरापूंजी की पहाड़ियों से शुष्कता और वीरानी के स्वर्ग राजस्थान तक भारत में भगवान राम की महिमा प्रत्येक कण-कण में व्याप्त है, बिना भगवान श्री राम के भारत का सारा इतिहास अधूरा है जब राक्षसों और रावण का आतंक अत्याचार पाप अन्याय और दुराचार चरम पर पहुंच गया था तब भगवान श्री राम का जन्म पृथ्वी माता सभी ऋषि मुनी देवताओं और पवित्र शक्तियों के आवाहन पर हुआ जिसमें मनु और शतरूपा को दिया गया वरदान भी शामिल था जिन्होने वह कुछ करके दिखाया जो उनके अलावा पूरे विश्व में किसी भी के द्वारा संभव नहीं था बचपन में जन्म लेटे ही सारी धरती वातावरण हरा भरा हो गया अल्प आयु में ही उन्होंने राम लक्ष्मण भारत शत्रुघ्न के साथ सभी वेद शास्त्र और शास्त्र विद्या सीख लिया बहुत छोटी अवस्था में ही उन्होंने भूख प्यास पर नियंत्रण करके ताड़का सुबाहु हो और मारीच जैसे रक्षासों को मार गिराया महान पापी इंद्र के कुकर्म द्वारा पत्थर बनी हुई अहिल्या का उद्धार किया और ब्रह्म ऋषि विश्वमित्र की यशपताका का सरे ब्रह्माण्ड में फैला दी उन्होंने भुमंडल के सभी राजाओं के असफल होने पर देखते ही देखते भगवान शिव के धनुष की डोरी चढ़ाकर उसे तोड़ दिया और रूद्र अवातर परशुराम के मान का मर्दन करते हुऎ उन्हें महेंद्र पर्वत पर भेज दिया।
पिता द्वारा अयोध्या के राज को उनके वचन का पालन करने के लिए मिट्टी की तरह ठुकरा दिया और भगवती सीता भाई लक्ष्मण के साथ वन में भटकते रहे वहां उन्होंने सब धर्म सत्य और मर्यादा की पता का अयोध्या से प्रयागराज और चित्रकूट का भ्रमण किया निषाद राज केवट को गले लगा कर समाज में सनातन धर्म की महानता और एकता का संदेश दिया परम सती अनसूया और ब्रह्म ऋषि अत्रि के यहां से होते हुए उनके कहने पर पंचवटी में निवास किया भारत सहित संपूर्ण दुनिया के कहने पर भी अयोध्या जाने स्वीकार नहीं किया और अपनी खड़ाऊ को प्रतीक रूप में धर्म के अवतार भारत को दे दिया पंचवटी में दंडक वन में जाकर सभी पापी राक्षसों को मार गिराया और सीता जी के साथ न लीला करने के लिए भगवती सीता को पवित्र अग्नि में समाहित करके केवल 24 मिनट में ही खर दूषण सहित 14000 परम शक्तिशाली राक्षसों को मार गिराया जो विश्व विजेता रावण की सेवा में शामिल थे।
परम लंपट दुराचारी रावण के भगवती सीता का चोरों की तरह अपहरण करने के बाद भी उन्होंने विष्णु ब्रह्मा शिव का मान रखते हुए त्रिलोक के विजेता रावण और रावण को भी जीतने वाले बाली को भरपूर समझाया लेकिन न मानने पर उन सभी को यमलोक भेज कर उनका राज्य खुद नहीं लिया उनके उत्तराधिकारियों को सौंप दिया और सभी वानर वीरों को जीवन दान देकर स्वर्ग में भेज दिया फिर मन की गति से चलने वाले पुष्पक विमान से परमप्रिय निषाद राज से मिलकर अयोध्या आए और 10000 वर्ष तक अयोध्या का शासन करते हुए लव कुश को और सभी भाइयों के पुत्रों को अलग-अलग राज्य सौंप कर अयोध्या की सारी प्रजा के सहित बैकुंठ धाम में प्रवास कर गए शबरी के झूठे बेरो को परम आनंद के साथ खाया उन्होंने राजा से लेकर परमवीर योद्धा तक मर्यादा से लेकर वीरता के जितने प्रतिमान स्थापित किया उसको तोड़ना तो दूर कोई सोच भी नहीं सकता है इसीलिए तो राम राज्य में बाघ और बकरी एक घाट पर पानी पीते थे।
हरी अनंत हरी कथा अनंता की तरह भगवान श्री राम के कार्य अनंत है वर्णन और कल्पना से पड़े हैं दुनिया की हर भाषा में रामायण लिखा गया है और सभी में भगवान राम को सर्वश्रेष्ठ मना गया है तुलसी वाल्मीकी कमान राधे श्याम कृतिवास सभी लोगों ने उन्हें परम पूज्य मना है उनके रोम रोम में करोड़ों ब्रहमानड स्वयं ने देखा इंद्र के दुराचारी पुत्र जयंत कौशिक की बढ़ से मरा तो कोई उनकी रक्षा नहीं कर सका पर्वत के आकर वाले कुंभकरण को पाल भर में मार गिराया और अश्व महल की रक्षा के लिए अपने पुत्रों और भगवान शिव से भी घनघोर युद्ध किया भगवती सीता के निवेदन पर उनको जनहित में वन में भेजा लेकिन दूसरा विवाह न करके एक पत्नीव्रती होने का ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया जो कोई सोच नहीं सकता परम सती सुलोचना का मान सम्मान करके मेघनाथ का सिरों को सौंप देना भगवती पार्वती को मर्यादा की शिक्षा देना खेल में अपने भाइयों से हार जना वनवास देने वाली कैकई को सबसे बढ़कर मान सम्मान देना लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न को अपना प्राण समझने वाले भगवान श्री राम की महिमा किसी के द्वारा संभव नहीं है आज के प्रजा और राजा भक्त और शैतान राक्षस और देवता सभी को उनसे सिखाना चाहिए हम तो केवल इतना ही कह सकते हैं जग में अब तक जो भी आया भगवान राम सर्वोत्तम है उनका प्यारा न्यारा जीवन आदर्श और अति उत्तम है आओ हम सब मिलकर के भगवान राम को नमन करें उनका जीवन अपनाकर के अपना ही जीवन धन्य करें।