गरीब जनता की कमाई को लूटने का अड्डा बन गया है प्राइवेट नर्सिंग होम

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पत्रकार अनवर हुसैन

सर्जन न होने पर भी हो रहा है ऑपरेशन

जौनपुर। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार तमाम दावे कर रही है कि भ्रष्टचार पर लगाम लगाया जा चुका है और अपराधियों एवं दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है लेकिन उनके दावे के विपरीत स्वास्थ विभाग के अधिकारी व कर्मचारी काम कर रहे हैं लेकिन ऐसे भ्रष्ट अधिकारी व नर्सिंग होम पर बाबा का बुलडोजर नहीं चल पा रहा है क्योंकि इनके पीछे कहीं ना कहीं शासन प्रशासन का सहयोग रहता है प्राइवेट अस्पतालों को खोलने के लिए सरकार के द्वारा नियम कानून बनाए गए हैं जानकारी के अनुसार इसके विपरीत लगभग सभी प्राइवेट अस्पताल चल रहे हैं वहीं शासन के निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
इनके खिलाफ जिला प्रशासन मौन रहता है प्राइवेट अस्पताल खुलेआम गैरकानूनी तरीके से कार्य कर रहे हैं उन्हें किसी प्रकार का कोई शासन का भय नहीं है जो कि प्रशासन की निगाह में गैर कानूनी कार्य है गरीब जनता की कमाई का लूटने का अड्डा बन गया है प्राइवेट नर्सिंग होम खास बात यह है कि जनपद में प्राइवेट नर्सिंग होम की भरमार लग गई है वही जनता डॉक्टर को भगवान मानती है लेकिन यह मौत के
सौदागर बन गए है वह इसे अपना व्यवसाय बना लिए है नगर से लेकर गांव तक तमाम इलाकों में अस्पताल संचालित हो रहे हैं जो डॉक्टर जिसके विशेषज्ञ नहीं है जिनके पास डिग्री भी नहीं है वह कथित डॉक्टर मरीजों की जिंदगी से खेल रहे है वहीं जिला प्रशासन सीएमओ ऑफिस अपने आपको बहादुर बनकर रह गया है मानक विहीन अस्पतालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है क्योंकि उन्हें विभाग का भरपूर संरक्षण प्राप्त है मानक विहीन अस्पतालों का गोरख धंधा जमकर चल रहा है और जिले के जिम्मेदार अधिकारी मौन बनकर बैठे हैं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कथित चिकित्सक मरीजों को देखते हैं जिसकी वजह से कई नर्सिंग होम में थोड़ी सी गलती के कारण मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ती है लेकिन ऐसे अस्पतालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है इनका कारोबार अवैध रूप से बगैर प्रमाणित चिकित्सा के फल फूल रहा है समाचार पत्र की टीम की पड़ताल में मिली सूत्रों की जानकारी में बिना नर्सिंग होम एक्ट का पालन किए धडल्ले से अस्पताल संचालित हो रहे हैं इनके पीछे किसी ना किसी अधिकारी व राजनेता का हाथ है इनके पास ना तो प्रशिक्षित डॉक्टर है ना तो कर्मचारी फिर भी छोटी या बड़ी बीमारी हो या ऑपरेशन तक का जिम्मा उठा कर मरीजों की जान से खेलते हैं विभाग को इसके बारे में ऐसा नहीं है कि कोई भी जानकारी नहीं है लेकिन इनके खिलाफ उच्च अधिकारियों व जिलाधिकारी लगाम लगा पाते हैं या नहीं जो अपने आपमें एक बड़ा सवाल है।
सीएमओ ऑफिस इस समय दलालों का अड्डा बन चुका है वहां के बाबू द्वारा रजिस्ट्रेशन के नाम पर खुलेआम धन की मांग की जाती है कि 25 से 30000 लाओ हम आपका रजिस्ट्रेशन कर देते हैं क्या बाबू पर कोई कार्रवाई होती है या इसमें अधिकारियों की संलिप्तता है यह एक जांच का विषय है।

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