मोदी सरकार में किसानों को काफ़ी सहूलियते – पंकज कुमार मिश्रा

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मछलीशहर | किसानों के हंगामें के बीच भाजपा लोकसभा मछलीशहर के शिक्षक प्रकोष्ठ मंडल संयोजक पंकज कुमार मिश्रा नें कहा कि पिछले दस वर्षों में भाजपा सरकार नें एमएसपी जैसे क्षेत्रो में किसानों के लिए बढ़िया काम किया है। इन वर्षोंम 875 रुपये बढ़ा है गेहूं का एमएसपी और 823 रुपये धान का जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में खाद्यान्न उत्पादन में 35 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुईं। आंकड़ों की सच्चाई यह है कि पिछले दस वर्षों में प्रमुख खाद्यान्नों का एमएसपी 40-60 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में करीब 35 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई और लगभग इतनी ही ज्यादा खरीद हुई। उत्पादकता बढ़ी है एवं कई योजनाओं के क्रियान्वयन से किसानों की आय में भी तेजी से वृद्धि हुई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की हाल में प्रकाशित एक पुस्तक में देश के सफल किसानों में से 75 हजार की सफलता की कहानियों का संकलन किया गया है। वर्ष 2013-14 में केंद्र सरकार ने किसानों की स्थिति पर सर्वे कराया था। तब प्रत्येक किसान परिवार की औसत मासिक आय 6,426 रुपये थी। इसके आधार पर केंद्र ने कृषि मंत्रालय का बजट बढ़ाया।
मिडिया एक्सपर्ट भी रह चुके पंकज कुमार मिश्रा नें कहा कि किसानों को नवीनतम तकनीक दी, जिसका असर हुआ कि 2018-19 में किसानों की आमदनी बढ़कर 10,218 रुपये हो गई। उधर 2013-14 के 27,662 करोड़ रुपये के बजट को करीब पांच गुना बढ़ाकर वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में 1.27 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। खेती की लागत को नियंत्रित कर किसानों की आय बढ़ाने के उपाय तलाशने के लिए 2016 में बनाई गई अंतर-मंत्रालयी समिति ने दो वर्ष बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट में कृषि नीतियों, सुधारों एवं कार्यक्रमों पर जोर दिया था। समिति की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने गंभीरता से अमल करते हुए किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था। इस पर तेजी से काम हुआ और परिणाम भी आया। आंकड़ों के अनुसार 2014-15 में एमएसपी पर कुल खरीद 761.40 लाख टन थी जिसके लिए 1.06 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। 2022-23 में खरीद बढ़कर 1062.69 लाख टन हुई जिसपर 2.28 लाख करोड़ रुपये का भुगतान हुआ। वर्तमान में आज 24 फसलों पर एमएसपी लागू है। किसानों को फसलों की लागत पर आने वाली राशि से लगभग 50 प्रतिशत अधिक दर न्यूनतम मूल्य तय किया जाता है। इसका मतलब हुआ कि किसी फसल का मूल्य बाजार भाव से कम होने की स्थिति में सरकार न्यूनतम मूल्य तय कर किसानों को सहारा देती है।

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