धनंजय राय ब्यूरो/पूर्वांचल लाईफ
भदोही नगर स्थित महाराजा बलवंत सिंह राजकीय अस्पताल जिले के मजदूर बहुल इलाके में होने के बाद भी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है। स्थिति यह है कि इस अस्पताल के 60 शैय्या वाले वार्ड को ढहाकर 100 बेड का नया मातृ शिशु विंग तो बना दिया गया, लेकिन अब तक उसे चालू नहीं कराया जा सका है। इसको लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है। भदोही का एमबीएस अस्पताल शहर के बीचों बीच स्थित है। कालीन बहुल इलाका होने के कारण बड़ी संख्या में मजदूरों की आबादी है, जो पूरी तरीके से सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं पर आश्रित हैं। यहां पर लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने की बात आई तो अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता पड़ी, लेकिन अस्पताल प्रशासन को अतिरिक्त जमीन न मिल सका। ऐसे में अस्पताल के 60 शैय्या वाले वार्ड को गिराकर उसी के स्थान पर 100 शैय्या का नया मातृ शिशु अस्पताल बनाने की हरी झंडी मिली। बीते छह सालों से मातृ शिशु विंग बन कर तैयार है, लेकिन अब तक इसको चालू नहीं कराया जा सका है। कोविड महामारी के इसे एल-1 हॉस्पिटल का दर्जा दिया गया। उसके बाद से आज तक अस्पताल वैसे ही पड़ा हुआ है, लेकिन शुरू नहीं हो सका है। उधर एमबीएस अस्पताल प्रशासन का मानना है कि 60 शैय्या वाला वार्ड ढहाए जाने के बाद अब अस्पताल में 50 शैय्या बचे हुए हैं। जिससे फिलहाल तो कोई बड़ी परेशानी नहीं हो रही, लेकिन मरीजों के बढ़ने पर समस्या हो सकती है। बताया कि अस्पताल के बचे 50 बेड में 14 इमरजेंसी वार्ड, 12 सर्जिकल वार्ड, 10 डेंगू वार्ड और 10 लेबर रूम वार्ड के रूप में इस्तेमाल में किए जा रहे हैं।