गोलीकांड में जिम्मेदारों को घायल की परवाह नहींं

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अत्यंत गरीब परिवार के घायल अवधेश राजभर के परिवार का चूल्हा पड़ा ठंडा

चंदा मांगकर हो रहा इलाज, वाराणसी के बीएचयू से बिना गोली निकाले चिकित्सकों ने बैरंग लौटाया

पूर्वाचल लाईफ पंकज जायसवाल

जौनपुर। शाहगंज बीते गुरुवार को नगर के आजमगढ़ रोड स्थित पेट्रोल पंप के समीप बारात में दो पक्षों के बीच विवाद में चली गोली से घायल हुए अखनसराय गांव निवासी अवधेश राजभर का समुचित उपचार न होने से परिवार असहाय हो रहा है। पुलिस के जिम्मेदारान भी वादा करके मुकर गए। जिसके चलते पांच दिन से पैर में फंसी गोली उसकी जान की दुश्मन बनी हुई है।
घटना के बाद पुलिस ने अपनी कार्रवाई करते हुए दो पक्षों के विवाद में पीड़ित पक्ष की तहरीर पर घटना के सभी पांच आरोपियों को जेल तो भेज दिया, लेकिन घायल की ओर से कोई कार्रवाई न किया जाना उसके उपचार में बाधा बनी हुई है।
स्थानीय पुलिस ने घटना के बाद आनन-फानन में घायल को स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंची, जहां पैर में गोली फंसी होने पर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। चार दिन तक जिला अस्पताल में रखकर परिवार के लोग किसी तरह गांव में चंदा जुटाकर सोमवार को वाराणसी बीएचयू ले गए। जहां पर गोली लगी होने और किसी तरह की कोई पुलिसिया करवाई न होने के कारण चिकित्सकों ने बिना उपचार के ही उसे बैरंग लौटा दिया। फिलहाल पीड़ित की भाभी अपने देवर के इलाज के लिए जद्दोजेहद में जुटी है। पीड़ित अवधेश परिवार में अकेला कमाने वाला है, जो मजदूरी करके अपने परिवार के आधा दर्जन सदस्यों की जीविका चलाता था। घटना के बाद परिवार के सामने इलाज कराने और बच्चों को खिलाने की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। दो दिन से परिवार में चूल्हा ठंडा पड़ा हुआ है। ग्रामीणों की मदद से दस हजार रूपये चंदा जुटाकर परिवार के लोग वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्हें निराशा हाथ लगी।घायल अवधेश की भतीजी ने बताया कि घटना वाली रात पुलिस स्थानीय अस्पताल से रेफर कराकर घर पर लाए थे, जहां पुलिस ने पटाखे से घायल होना बताकर परिवार के सदस्यों और पुलिस के एक जवान के साथ जिला अस्पताल भेजा।
प्रभारी निरीक्षक ने पूरी कार्रवाई और अच्छा इलाज कराने का आश्वासन दिया। जौनपुर पहुंचने के बाद पैर में गोली लगने की जानकारी मिली। जिला अस्पताल में गोली निकालने की व्यवस्था नहीं होने पर चिकित्सकों ने वाराणसी रेफर किया। लेकिन जिम्मेदारों की वादाखिलाफी ने परिवार का मनोबल तोड़ दिया। उक्त परिवार की मदद के लिए अबतक न तो कोई सामाजिक संगठन के लोग सामने आए, न ही सियासी रहनुमा और न ही इलाज का वादा करने वाली मित्र पुलिस।

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