जौनपुर। जिले के कलेक्ट्रेट कचहरी से सटे कांशीराम सामुदायिक भवन पर पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष का नाम हटाकर वर्तमान अध्यक्ष का नाम अंकित किए जाने को लेकर नगर में सियासी हलचल तेज हो गई है। यह भवन वर्ष 2010 में बहुजन समाज पार्टी की सरकार के दौरान तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष दिनेश टण्टन के कार्यकाल में निर्मित कराया गया था। उस समय भवन के शिलालेख पर अध्यक्ष दिनेश टण्टन का नाम भी अंकित किया गया था।
हाल ही में इस भवन पर टण्टन का नाम हटाकर वर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष मनोरमा मौर्य का नाम अंकित कर दिया गया है, जिससे नगरवासियों के बीच चर्चा का माहौल बन गया है। राजनीतिक गलियारों में इसे एक तरह से पूर्व की सरकार और उसके कार्यों को मिटाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
इस संदर्भ में जब पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष दिनेश टण्टन से दूरभाष के माध्यम से संपर्क किया गया, तो उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “यह कोई नई बात नहीं है। इस तरह के कार्य पहले भी किए गए हैं। यह गंदी सोच और गंदे राजनीति की मिसाल है। पहले के कार्यों को मिटाना और अपने नाम की माला पहनना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। यह पूरी तरह अशोभनीय कृत्य है।”
नगर में इस मुद्दे को लेकर दो गुट बन गए हैं—एक पक्ष इसे वर्तमान अध्यक्ष की उपलब्धि का प्रचार मान रहा है, तो दूसरा पक्ष इसे इतिहास से छेड़छाड़ और पूर्व कार्यों की अनदेखी करार दे रहा है।
सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या कोई नई योजना या पुनर्निर्माण कार्य हुआ है, जिसके तहत यह बदलाव किया गया है, या फिर यह केवल राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश है?
नगरपालिका प्रशासन की ओर से इस बदलाव के पीछे कोई आधिकारिक बयान अब तक सामने नहीं आया है।
नगर के सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक विश्लेषकों और नागरिकों का मानना है कि इस तरह के बदलाव से जनता के बीच गलत संदेश जाता है। कोई भी भवन या योजना किसी पार्टी विशेष की नहीं, बल्कि जनता की संपत्ति होती है और उसमें किए गए योगदान का सम्मान किया जाना चाहिए।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है और क्या पूर्व अध्यक्ष को उनका नाम पुनः भवन पर लौटाया जाएगा या यह मुद्दा महज चर्चा तक सीमित रह जाएगा।