पूर्वांचल लाईफ/पंकज सीबी मिश्रा
जौनपुर : इस बार शारदीय नवरात्रि दस दिवस का होगा। माँ के सबसे शीतल स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा इस बार दो दिवस होगी। अतिरिक्त दिवस में माँ के आगमन का संयोग कई वर्षों बाद बना है। माँ दुर्गा की महापूजा का यह पर्व बेहद आस्था का पर्व है जो हर साल देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रहे हैं। इन 10 दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जानी है। इन 10 दिनों का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि, जो भक्त इन दिनों में माता रानी की सच्ची उपासना करता है मां दुर्गा उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। शारदीय नवरात्रि का आरंभ आश्विन प्रतिपदा तिथि से होता है और समापन दशमी तिथि को होता है। वैसे तो माता का वाहन शेर है लेकिन, नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा अलग-अलग वाहन से आगमन और प्रस्थान करती हैं। माता के अलग-अलग वाहन पर आने और जाने का प्रभाव भी अलग होता है। जय माता दी के ध्वनि के साथ इस बार सोमवार से माँ का आगमन माँ को हाथी पर आरुढ़ करेगा। सोमावर के दिन से शारदीय नवरात्रि आरंभ, जानिए इस बार किस पर कृपा बरसाएंगी, कैसे आएंगी और किस पर जाएंगी मां दुर्गा ! पत्रकार और विश्लेषक पंकज सीबी मिश्रा नें बताया कि नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन जिस वाहन पर होता है, उसका ज्योतिषीय महत्व माना जाता है, इस वर्ष नवरात्रि की शुरुआत सोमवार को हो रही है, इसलिए माँ दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा, महापुराण के अनुसार, रविवार या सोमवार को नवरात्रि शुरू होने पर माँ हाथी पर आती हैं, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है, यह भरपूर बारिश, कृषि में समृद्धि, दूध के उत्पादन में वृद्धि और देश में धन-धान्य की बढ़ोत्तरी का संकेत है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार, 22 सितंबर 2025 से हो रही है, जिसका समापन गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी के साथ होगा, यह दस दिनों का पावन पर्व माँ दुर्गा को समर्पित है, जो अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाती हैं, वाहन का महत्व निम्नलिखित है:
घोड़ा: शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि शुरू होने पर मां घोड़े पर आती हैं, जो राजनीतिक अस्थिरता और सरकारों में बदलाव की ओर इशारा करता है।
पालकी: गुरुवार या शुक्रवार को आगमन पर पालकी वाहन, विवाद और बड़ी घटनाओं की चेतावनी देता है।
नाव: बुधवार को आगमन पर माँ नाव पर आती हैं, जो भक्तों के लिए सुख, सफलता और समृद्धि लाती हैं।
मां की विदाई का वाहन – नवरात्रि के समापन पर भी मां दुर्गा का वाहन महत्वपूर्ण होता है, इस वर्ष विजयादशमी गुरुवार, 2 अक्टूबर को है, जिस दिन माँ दुर्गा मानव वाहन (नरा) पर विदा होंगी, यह एक शुभ संकेत है, जो देश में शांति, खुशहाली और सौभाग्य का समय आने का संकेत देता है। कुल मिलाकर, इस साल की शारदीय नवरात्रि की शुरुआत और विदाई दोनों ही शुभ संकेतों से भरी हैं, माँ का हाथी पर आगमन और मानव वाहन पर विदाई, भक्तों के लिए समृद्धि, शांति और खुशहाली का वादा करती है। विद्वानों के भी मतानुसार शारदीय नवरात्रि का आरंभ 22 सितंबर से हो रहा है और 2 अक्टूबर को दशमी तिथि के दिन नवरात्रि का समापन हो जाएगा। साथ ही इस बार नवरात्रि पर ग्रहों का बहुत ही शुभ संयोग बना हुआ है। नवरात्रि पर इस बार बुधादित्य राजयोग, भद्र राजयोग, धन योग (चंद्र मंगल युति तुला राशि में), त्रिग्रह योग (चंद्रमा बुध और सूर्य की युति कन्या राशि में), और गजेसरी राजयोग का शुभ संयोग रहने वाला है। नवरात्रि का आरंभ गजकेसरी राजयोग से हो रहा है क्योंकि, गुरु और चंद्रमा एक दूसरे से केंद्र भाव में होंगे। गुरु मिथुन राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करेंगे जिससे गजकेसरी राजयोग का निर्माण होगा। साथ ही इस बार मां दुर्गा भी गज पर सवाल होकर आ रही हैं तो यह बेहद ही दुर्लभ संयोग हैं। नवरात्रि आरम्भ सोमवार से है और मुहूर्त दिन भर है। अतः जो व्यक्ति कलश स्थापित कर देवी का पाठ करता या कराता है वह अभिजित मुहूर्त में कलश को स्थापित कर सकेगा। हालांकी कुछ ज्योतिषी के मतानुसार यह समय प्रायः 11.40 से 12.30 के बीच मध्याह्न में है। धर्मशास्त्र और आगम दोनोंमें ही देवी पूजा का कलश चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में वर्जित किया गया है।इष्ट के स्थान पर अनिष्ट होने लगेगा। यह वर्जना केवल कलश स्थापना को लेकर है। जो लोग मंदिर में या नदी तट पर पाठ करते हैं वे कलश स्थापना के बिना ही पूजन करते हैं। कलश स्थापन बिना देवीपूजा आरम्भ करने में चित्रा वैधृति का कोई दोष नहीं है। जो नित्य पाठ करते हैं उन्हें भी दोष नहीं है। यही महाशक्ति सृष्टि को संचालित करती हैं। ये ही राजा और राज्य का सृजन करती हैं। भोग और मोक्ष, वैराग्य और गार्हस्थ्य भावों को संचालित करती हैं। ये ही लक्ष्मी और दारिद्र्य को देती हैं। विज्ञान और अविज्ञान को ये ही उत्पन्न करती हैं।अतःआत्मा से लेकरशरीरतक,स्वर्गसेलेकर पृथ्वी तक भगवती महाशक्ति ही बांधती और मुक्त करती हैं। सच्चा गृहस्थ देवीको अपना सर्वस्व अर्पित कर पुनः उन्हीं से मांगकर जीवन निर्वाह करता है। जो कुछ दृश्य जगत में घटित हो रहा है वह भगवतीप्रकृति देवी के द्वारा संचालित है।युद्ध और शांति,सृष्टि और संहार उन्हीं की आज्ञा से हो रहा है।अतः धर्म, राष्ट्र,जीवन, स्वार्थ और परमार्थ की प्राप्ति के लिए देवी की आराधना अवश्य की जाती है।
हे जगदम्बे! भारत के उस स्वरूप को उद्भावित करो जो
पुरुषार्थी राजर्षी जनों के काल में आपने प्रसन्न हो कर उन्हें दिया था। हे अनन्तवीर्ये! सनातन की रक्षा के लिए सनातनी बन कर उद्भूत होईये। हे आद्या! ब्रह्मा, विष्णु, शिव,कुबेर,वरुण आदि आप की उपासना करते हैं फिर हमारे जैसे मनुष्य आपकी आराधना क्यों न करें? हे शब्दमयी! मेरे कंठ से निकले प्रत्येक अक्षर तुम्हारी स्तुति केलिए ही हैं। इस पवित्र भारत को अपवित्र करने वालों को अपना ग्रास बनाइए।
हे भ्रामरी! हे रक्तबीज बध कारिणी!
अपनी इस धरा को रक्षित कीजिए।
तत्र स्थिता त्वं परिपासि भारतम् ।।
आगमन के समय मां दुर्गा का वाहन:
शशिसूर्ये गजारूढ़ा , शनिभौमे तुरंगमे ।
गुरुशुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता ।।
फलम् – गजे च जलदा देवी , छत्रभङ्ग तुरंगमे ।
नौकायां सर्व सिद्धिस्यात् दोलायां मरणं धुव्रम् ।।
इस बार शारदीय नवरात्रि का आरंभ 22 सितंबर सोमवार से हो रहा है। जब भी नवरात्रि का आरंभ रविवार या सोमवार से होता है तो उस दिन माता का आगमन गज यानी हाथी पर होता है। श्रीमदेवी भागवत महापुराण के अनुसार, जब भी माता का आगमन हाथी पर होता है तो यह बेहद ही शुभ माता जाता है। माता के हाथी पर आगमन का अर्थ है कि कृषी में वृद्धि होती साथ ही देश में धन समृद्धि में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। मां दुर्गा के प्रस्थान का वाहन ? शशिसूर्यदिने यदि सा विजया, महिषा गमनेरूज शोककरा, शनिभौमे यदि सा विजया चरणायुधयानकरी विकला , बुधशुक्रे यदि सा विजया गजवाहनगा शुभवृष्टिकरा ,सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहनगा शुभसौख्यकरा ।।
शारदीय नवरात्रि का समापन 2 अक्टूबर गुरुवार विजयदशमी के दिन होगा। जब भी माता का प्रस्थान गुरुवार के दिन होता है तो मां दुर्गा मनुष्य की सवारी करके प्रस्थान करती हैं। इस बार भी मां मनुष्य की सवारी करके प्रस्थान करेंगे जिसे बहुत ही शुभ संकेत माना गया है। इसका मतलब है कि लोगों के बीच प्रेम बढ़ेगा और सुथ शांति बनी रहेगी।