जिउतिया पर्व पर उमड़ी आस्था की भीड़ महिलाओं ने पुत्रों की लंबी आयु के लिए रखा निर्जला व्रत

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पूर्वांचल लाइफ पंकज जयसवाल

शाहगंज (जौनपुर)।
नगर ही नहीं बल्कि पूरे ग्रामीण अंचल में आस्था और परंपरा का महापर्व जिउतिया (जिउतिया व्रत) श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया गया। मातृ शक्ति ने अपने पुत्रों की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और निरोगी जीवन की कामना करते हुए निर्जला उपवास रखा। दिनभर बिना अन्न-जल ग्रहण किए महिलाओं ने भगवान जीउतवाहन की पूजा-अर्चना कर व्रत कथा का श्रवण किया।

सुबह से ही पूजा-पाठ में लीन रहीं महिलाएं

तड़के सुबह स्नान-ध्यान कर व्रती महिलाओं ने घरों व मंदिरों में पूजा की तैयारियां शुरू कर दीं। आंगनों में अल्पना बनाई गई और मिट्टी से बने जिउतवाहन की प्रतिमाओं की स्थापना कर पूजा-अर्चना की गई। पूजा के बाद व्रत कथा सुनकर महिलाओं ने संतान रक्षा व लंबी उम्र की मंगलकामना की।

बाजारों में दिखी रौनक

पर्व को लेकर बाजारों में रौनक देखने को मिली। पूजन सामग्री, दूब, मौसमी फल, प्रसाद आदि की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ देखने को मिली। शाहगंज नगर के अलावा खुटहन, पट्टी, बीबीगंज, सबरहद, अलीगंज, मजडीहां समेत ग्रामीण क्षेत्रों में भी श्रद्धा भाव से व्रत मनाया गया।

महिलाओं के अनुभव

व्रती महिलाओं ने बताया कि, “हम हर साल यह व्रत रखते हैं। यह हमारे बच्चों की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। निर्जल रहना कठिन होता है लेकिन मातृत्व के प्रेम से यह कठिनाई भी आसान लगती है।जिउतिया सिर्फ व्रत नहीं बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। यह हमें एकजुट करता है और संतान के प्रति मां के त्याग तथा प्रेम को दर्शाता है।”

पौराणिक कथा का महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब जिउतवाहन नामक पक्षी ने अपने पुत्रों की रक्षा के लिए निर्जल उपवास किया, तब देवताओं ने उससे प्रसन्न होकर उसके बच्चों की उम्र बढ़ा दी। तभी से यह व्रत माताएं संतान की दीर्घायु और खुशहाली के लिए करती हैं।

सांस्कृतिक माहौल

जिउतिया पर्व के अवसर पर घर-घर पारंपरिक गीतों की गूंज सुनाई दी। महिलाओं ने समूह बनाकर रातभर जागरण किया और लोकगीतों के जरिए अपनी आस्था प्रकट की। इससे नगर और गांवों का धार्मिक वातावरण और भी मनोहारी हो उठा।

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