फ़िल्म जगत में एक ऐसा नाम जो अभिनय को केवल निभाता नहीं, बल्कि जीता है। बिहार के गोपालगंज की मिट्टी से निकले पंकज त्रिपाठी, अपनी सहजता, गहराई और यथार्थवादी अदायगी से लाखों दिलों पर राज कर रहे हैं। चाहे गांव के भोले-भाले किसान का किरदार हो या सत्ता के गलियारों में गूंजता दबंग नेता – हर भूमिका में उनकी सादगी और दमखम दर्शकों को बांध लेती है।
आज पंकज त्रिपाठी सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि उभरते कलाकारों के लिए एक जीती-जागती प्रेरणा हैं।
प्रश्न 1:
सर, आपने अपने अभिनय के जरिए हर वर्ग के दर्शकों के दिल में जगह बनाई है, आज के दौर में ‘रियल एक्टिंग’ को आप कैसे देखते हैं?
उत्तर (पंकज त्रिपाठी):
“मैं हमेशा यही मानता हूँ कि एक्टिंग का मतलब है – सच को पर्दे पर जीना। दर्शक अब बहुत समझदार हो चुके हैं, उन्हें बनावटीपन समझ में आ जाता है। इसलिए मैं किरदार में घुस कर वही करता हूँ जो असल जिंदगी में होता है। असली इमोशन, असली भाषा और असली हावभाव… यही आज के समय में ‘रियल एक्टिंग’ की डिमांड है।”
प्रश्न 2:
आपकी फिल्मों में गाँव की मिट्टी और वहाँ की खुशबू देखने को मिलती है। क्या आप आज के सिनेमा में ग्रामीण भारत की जगह को लेकर संतुष्ट हैं?
उत्तर (पंकज त्रिपाठी):
“सिनेमा शहरों से निकल कर अब गाँवों की ओर लौट रहा है। OTT और छोटे बजट की फिल्मों ने इस बदलाव को तेज किया है। हाँ, अभी और काम होना चाहिए ताकि देश की असली कहानियाँ दुनिया तक पहुँच सकें।”
प्रश्न 3:
कई युवा कलाकार आपको अपना आदर्श मानते हैं, उन्हें आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर (पंकज त्रिपाठी):
“मैं बस यही कहूँगा कि धैर्य रखो। अपने काम में ईमानदारी रखो। जल्दबाजी में कुछ नहीं होता। जो भी किरदार मिले, उसे पूरी निष्ठा से निभाओ। Stardom पीछे भागता है, मेहनत और सच्चाई आगे भागते हैं।”
प्रश्न 4:
आपकी फिल्म ‘OMG 2’ और ‘Mimi’ जैसी फिल्मों में सामाजिक संदेश भी देखने को मिला। क्या आप भविष्य में भी ऐसी फिल्मों को प्राथमिकता देंगे?
उत्तर (पंकज त्रिपाठी):
“बिल्कुल, मैं हमेशा ऐसी फिल्मों की तलाश में रहता हूँ जो समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव ला सके। मनोरंजन के साथ-साथ जिम्मेदारी भी जरूरी है। अगर कहानी में सच्चाई है तो मैं जरूर करना चाहूँगा।”
प्रश्न 5:
वर्तमान समय में फिल्म इंडस्ट्री में जिस तरह की राजनीति और ग्रुपिज़्म (Groupism) की बातें होती हैं, उसे आप कैसे देखते हैं?
उत्तर (पंकज त्रिपाठी):
“देखिए, राजनीति तो हर फील्ड में होती है। फिल्म इंडस्ट्री में भी है लेकिन मैं हमेशा अपने काम पर फोकस करता हूँ। यदि आप अपने काम में इतने मजबूत हैं कि कोई भी लॉबी आपको रोक नहीं सकती, तो सफलता आपके पास खुद चलकर आएगी।”
प्रश्न 6:
आपके मुताबिक एक अच्छे अभिनेता की सबसे बड़ी पहचान क्या होती है?
उत्तर (पंकज त्रिपाठी):
“एक अच्छा अभिनेता वही है जो अपने किरदार की सीमाओं में रहकर भी उसमें जान डाल दे। कैमरा ऑन होते ही खुद को भुला कर किरदार में जीना ही असली कला है। और सबसे जरूरी-अभिनेता को संवेदनशील होना चाहिए।”
प्रश्न 7:
पंकज जी, क्या आप डिजिटल प्लेटफॉर्म्स (OTT) को सिनेमा के भविष्य के रूप में देखते हैं?
उत्तर (पंकज त्रिपाठी):
“बिल्कुल, OTT ने कंटेंट की आज़ादी दी है। अब अच्छी स्क्रिप्ट पर फिल्में और वेबसीरीज बन रही हैं। थिएटर का भी अपना स्थान रहेगा, लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म ने उन कहानियों को जगह दी है जो पहले बड़े पर्दे तक पहुँच ही नहीं पाती थी।
अपना कीमती समय देने के लिये धन्यवाद।