सरकारी लापरवाही ने रोकी फाइलों की रफ्तार, प्रधानमंत्री आवास योजना में गरीब हुए बेहाल
जौनपुर। गरीबों को पक्का मकान दिलाने के उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) कागज़ों में अटक कर रह गई है। जिले में हजारों पात्र उपभोक्ता फाइलों की धीमी गति और विभागीय लापरवाही के चलते महीनों से दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, योजना के तहत लाभार्थियों की सूची तैयार कर मंजूरी देने की प्रक्रिया तो तेजी से पूरी हुई, लेकिन फाइलों की जांच और आगे की कार्रवाई विभागीय स्तर पर बेहद धीमी है। पात्र लाभार्थी कई-कई बार ब्लॉक और तहसील कार्यालयों का चक्कर लगाते हैं, मगर उन्हें सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा।
लोगों का आरोप है कि फाइलों की धीमी गति के पीछे “सुविधा शुल्क” की मांग भी एक बड़ी वजह हो सकती है। गरीब परिवारों का कहना है कि बिना पैसे दिए उनकी फाइल आगे नहीं बढ़ती, जबकि योजना का मकसद ही गरीब और जरूरतमंदों को पक्का आवास उपलब्ध कराना है।
ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले आवेदक सबसे ज्यादा परेशान हैं। उन्हें दिहाड़ी छोड़कर दफ्तरों का चक्कर लगाना पड़ता है। इस बीच कुछ लोगों की किश्त जारी भी हुई है, लेकिन अधिकांश पात्र उपभोक्ता अभी तक पहली किश्त का इंतजार कर रहे हैं।
पारदर्शिता की बात करने वाली सरकार की इस योजना पर लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। यदि विभाग ने समय से फाइलों की जांच और स्वीकृति की प्रक्रिया पूरी की होती तो आज हजारों गरीबों के सिर पर पक्की छत होती।
लोगों की मांग है कि प्रशासन स्तर पर उच्चस्तरीय जांच कर फाइलों में हो रही देरी का कारण स्पष्ट किया जाए और यदि कहीं सुविधा शुल्क की मांग जैसी शिकायतें सही साबित होती हैं तो दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो।
अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में कब जागता है और पात्र उपभोक्ताओं को उनका हक कब तक दिला पाता है।