बाबा के भक्तों की साइकिल यात्रा में रहस्यमयी श्वान बना आस्था का प्रतीक

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चेन्नई/बेंगलुरु/कोल्हापुर।
राजस्थानी प्रवासी समाज द्वारा चेन्नई से रामदेवरा तक निकाली जा रही 3000 किमी लंबी साइकिल यात्रा इस बार एक विशेष कारण से चर्चा में है—यात्रा में एक रहस्यमयी श्वान भी पैदल ही साथ चल रहा है, जो भक्तों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गया है।

बेंगलुरु से चुपचाप जुड़ा कारवां में…
मीडिया प्रभारी दिनेश सालेचा (मदुरै) ने बताया कि चेन्नई से बाबा रामदेव के 11 भक्तों का यह दल साइकिल से रवाना हुआ है, जो पूरे समर्पण भाव से रामदेवरा की ओर अग्रसर है। लेकिन यात्रा के दौरान बेंगलुरु में अचानक एक श्वान भक्तों के साथ जुड़ गया। किसी को पता नहीं चला कि वह कहां से आया, पर तब से वह हर पड़ाव पर उनके साथ ही रुकता, खाता और चलता है।

भक्तों ने बताया – “बाबा का भेजा हुआ रक्षक”
डॉ. केसरसिंह राजपुरोहित (गादाणा) ने बताया, “यह श्वान हर पड़ाव पर यात्रियों के साथ ठहरता है और अगली सुबह संघ के साथ फिर चल पड़ता है। लगता है जैसे बाबा रामदेव ने इसे हमारे लिए भेजा है।” यात्रियों के अनुसार यह कोई सामान्य संयोग नहीं, बल्कि एक दिव्य संकेत है।

हर पड़ाव पर हो रहा भव्य स्वागत
यात्रा के संयोजक विक्रमसिंह जोधा और अन्य सदस्यों अशोक कुमार शर्मा, डूंगर सिंह राजपूत, जितेंद्र सिंह राजपूत, छोटू सिंह राजपूत, श्याम कचोरी, बाबू पटेल, कुशल चौधरी, राहुल कुमावत, अनूप देवासी और सहयोगी ड्राइवर गोपाल गिरी—ने बताया कि जिस भी स्थान पर यात्रा पहुंच रही है, वहां स्थानीय प्रवासी समाज के लोगों द्वारा भव्य स्वागत किया जा रहा है। यात्रियों को शॉल व मालाओं से सम्मानित किया जा रहा है।

यात्रा बनी श्रद्धा और करुणा का अद्भुत संगम
यह यात्रा अब केवल भक्ति का मार्ग नहीं रह गई, बल्कि यह करुणा, समर्पण और आस्था का प्रतीक बन गई है—जहां इंसान और पशु बिना भेदभाव एक ही ध्येय की ओर बढ़ रहे हैं। यह दृश्य लोगों को भावुक भी कर रहा है और प्रेरित भी।

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