छठ पूजा को लेकर सज गए घाट और पोखर, सूर्योपासना का अद्धभुत महापर्व

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पंकज सीबी मिश्रा/पत्रकार जौनपुर

जौनपुर ! लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारी अब जोर पकड़ रही। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के साथ छठ महापर्व का आरंभ हो जाता है, जो सप्तमी तिथि को सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो जाता है। इसमें सबसे मुख्य षष्ठी तिथि का माना जाता है। इन दिनों में सूर्य देव की पूजा करने का विधान है। यह पर्व मूलरूप से बिहार, पूर्वांचल में मनाया जाता है। इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों से लेकर विदेशों में धूमधाम से मनाया जाता है। जनपद के केराकत में गोमती घाटों सहित विकासखंड केराकत के अंतर्गत कई गाँवों में तालाबों की साफ सफाई शुरू हो गईं है। दीपावली के बाद छठ पर्व की तैयारी युद्ध स्तर पर जारी है। आपको बता दे कि आगामी पांच नवंबर से छठ पर्व महोत्सव की शुरूआत होगी जो सात नवंबर गुरुवार तक चलेगी। छठ पर्व महोत्सव को लेकर पूर्वांचल के सभी घाटों पर सेवादार तैयारियों में लगे हैं। कार्यक्रम मेंं मुख्य रूप से छठ व्रतीयों की मौजूदगी रहेगी। जनपद जौनपुर के पत्रकार और प्रदेश मिडिया विश्लेषक पंकज सीबी मिश्रा ने बताया कि जिले के आसपास स्थित तालाब और पोखरो से भी छठ व्रती श्रद्धालुओं की बड़ी मात्रा में उपस्थित होगी। सात नवंबर को छठ पर्व महोत्सव पर सायं चार बजे संध्या अर्ध्य होगा। अगले दिन शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा। वहीं, घाट के चारों ओर दीवारों पर रंग रोगन का कार्य भी चल रहा है। उन्होंने बताया कि छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है।केराकत विकासखंड के अंतर्गत कई तालाबो के चारों ओर रंगीन लाइटें भी लगाई जाएगी। जिसको लेकर पिछले कुछ दिनों से तालाब की साफ सफाई का कार्य जोरों पर है। विभिन्न घाटों तक जाने वाली सड़क व घाट में जमा कूड़ा कचरा का उठाव भी युद्ध स्तर पर हो रहा है। ग्राम प्रधान सहित तमाम लोग भी छठ पूजा की तैयारी हेतु हर संसाधन मुहैया करा रहें है। शहर के नदी व तालाबों से जलकुंभी और कचरे को सफाई कर्मियों द्वारा निकालने का कार्य जारी है। पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा ने स्थानीय प्रसाशन सहित केराकत उपजिलाधिकारी से मांग किया कि जिस तालाब में पानी की कमी है उसमें पानी की व्यवस्था कराई जाए। वहीं नदी व तालाबों में बेरिकेटिंग भी की जाए ताकि बेरिकेटिंग के बाहर छठ व्रती नहीं जा सके। छठ घाटों की साफ-सफाई के बाद चुना व ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जाए। छठ पूजा को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस दौरान कठोर नियमों का पालन करने के साथ-साथ करीब 36 घंटे तक माताएं निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे भविष्य, रोग मुक्त जीवन और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं।

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