उत्तर प्रदेश/जौनपुर
शाहगंज: जनपद में कई अशासकीय सहायता प्राप्त स्कूलो में प्रबंधतंत्र की मनमानी सामने आई है। सूत्रों नें बताया की दबंग प्रबंधकों द्वारा वेतन बिल पर हस्ताक्षर के बदले प्रतिमाह मोटी रकम की मांग की जाती है और मना करने पर वेतनबील पर समय से हस्ताक्षर नहीं करते जिससे कई स्कूलों के शिक्षकों को पिछले माह से वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा। शिक्षको नें अपनी समस्या शासन प्रशासन समेत जिम्मेदार अधिकारीयों तक को बताई पर अब भी ऐसे धनलोभी प्रबंधक पकड़ से बाहर है। एक मामले में सूत्रों नें बताया कि अर्गूपुरकला में स्थित एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रबंधक के शोषण के चलते शिक्षक व कर्मचारी दो माह से एक-एक रुपये को मोहताज हैं। यहां प्रबंधक की मनमानी को लेकर वेतन भुगतान नही हो पा रहा है, प्रबधक द्वारा विधायक निधि से छात्र छात्राओं के लिए बने कमरों पर कब्जा जमा कर सभागार बना लिया। वही प्रधानाध्यापक ने जिलाधिकारी को दिए पत्र में कहा विद्यालय के शिक्षक/शिक्षणेत्तर कर्मियो के वेतन बिल पर अर्गूपुरकला प्रबन्धक द्वारा हस्ताक्षर नहीं किया जा रहा है। यहाँ के शिक्षको नें बताया कि मैनेजमेंट बहुत दबंग व झगड़ालू किस्म के व्यक्ति के हाथ है, इनके द्वारा हम लोगों का आर्थिक व मानसिक शोषण किया जा रहा है। पूर्व की भाँति पुनः वेतन बिल पर हस्ताक्षर करने के बदले प्रतिमाह एक कर्मी से 10 हजार रूपये व जून महीने का पूरा वेतन व एम०डी०एम० कनर्वजन कास्ट से 10 हजार प्रतिमाह और 2-2 कुन्टल चावल व गेहूं की मांग की जा रही है। इसके पूर्व में अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 कोविड -19 काल में भी वेतन बिल पर हस्ताक्षर न करने व पैसे की मांग करने के कारण 11 माह हम लोगों को बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया था। प्रबंधक के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नही की गयी, जिससे अब फिर मनमानी करने पर उतर आये है। इसी क्रम में प्रबन्धक द्वारा दो माह से फिर वेतन बिल पर हस्ताक्षर नही किया जा रहा है, जिसमें रजिस्ट्रीकृत पत्राचार के माध्यम से मेरे द्वारा दो माह की वेतन बिल पुनः इन्हें भेजकर हस्ताक्षर के लिए विनती किया गया। परन्तु इनके द्वारा बिल प्रस्तुत करने के बजाए, केवल पैसे की मांग व निलम्बित करने नौकरी से निकालने व जांच कराने की तमाम तरह की धमकी दी जा रही है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि जिलाधिकारी और बीएसए को पत्र लिखकर वर्तमान स्थिति से अवगत करा दिया गया है। उम्मीद है कि संज्ञान लेते हुए सभी मामले निस्तारित करने की मांग की गई है। विभाग के साथ ही प्रशासनिक अधिकारी भी मूक बने हैं।