मारवाड़ के राजा राव जोधा के सबसे बड़े बेटे राजपूत राव बीका अपने पिता से नाराज हो गए और उन्होंने अपना राज्य स्थापित करने के लिए 500 सैनिकों और 100 घुड़सवारों के एक छोटे समूह के साथ मारवाड़ छोड़ने का फैसला किया। करणी माता के आशीर्वाद से व पड़ोसी कुलों के बीच प्रतिद्वंद्विता का लाभ उठाते हुए 1485 में, बीका ने राती घाटी नामक एक छोटा किला बनाया, जो बाद में उनके नाम पर शहर बन गया। पड़ोसी सरदारों के प्रारंभिक संदेह के बावजूद, बीका और शक्तिशाली सरदार राव शेखा की बेटी के बीच विवाह की व्यवस्था करके शांति बनाए रखने की कोशिश की। इससे क्षेत्र में बीका की शक्ति को मजबूत किया और राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना को चिह्नित किया। 1488 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, बीका ने मेहरानगढ़ किले पर कब्ज़ा कर लिया, जिसके कारण अगले 200 वर्षों तक मारवाड़ और बीकानेर के बीच युद्ध चलता रहा। बीका के मूल किले के अवशेष अभी भी चारदीवारी के भीतर लक्ष्मीनाथ मंदिर के पास देखे जा सकते हैं, जहाँ शाही परिवार रहता था। राजा राय सिंह ने भव्य “चिंतामणि” किला, जिसे अब जूनागढ़ कहते हैं को बनवाया।
बीकानेर का इतिहास -डॉ. मोनिका रघुवंशी
