“मुद्दा सावधान” ! शहर के रेस्टोरेंट धड़ल्ले से खिला रहें बासी भोजन और नाश्ता

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पूर्वांचल लाईफ/पंकज कुमार मिश्रा

जौनपुर! शहरों में खुले ये सभी मशहूर रेस्टोरेंट और चाट भंडार बगैर किसी रोक टोक के आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहें। क्या आपको पता है कि यहां मिलने वाले नाश्ते और भोजन अधिकतर बासी खाद्य पदार्थो से बनाये जा रहे जिसे खाने के बाद आप गंभीर बीमार भी पड़ सकते है। यहाँ मिलने वाली रोटियां बासी आटों से तो यहाँ मिलने वाली सब्जियां फ्रीज्ड होती है जिसका सीधा असर आपके अच्छे स्वास्थ्य पर होता है। अब बात करते हैं यहां मिलने वाले बासी चावल की जिसे मंचूरियन राइस के नाम पर 100 से 200 रूपये प्लेट के हिसाब से आप बड़े चाव से खाते है। ये आपके किडनी और पाचन के लिए कितना महत्वपूर्ण और पौष्टिक है ये तो वक्त बताएगा पर आपकी जेबे कितनी ढीली हो रहीं इसका अंदाजा आप खुद लगा लीजिये। यहां सब अजिनमोटो मिश्रित ऐसे विषैलें नास्ता है जिसे खाकर हम किडनी और पेट की बिमारियों को खुला निमंत्रण देते है।आजकल जीरा राइस, मसाला राइस आदि नामों से बड़े बड़े होटल्स और रेस्टोरेंट आपको बेवकूफ बनाकर खिला रहे हैं। आइये इसका विरोध करते हैं, क्योंकि बासी भोजन का गणित बड़ा तगड़ा है। बासी भोजन वास्तव में सभी फर्मेंटेशन उत्पादों की जननी है। इस बेमिसाल विज्ञान पद्धति के जनक हैं हमारे अदिवासी और वनवासी भाईबंधु तथा भारतीय समाज की कुशल गृहणियाँ है। इन्होंने ही अनगिनत भोज्य पदार्थों की रेसिपी ढूंढी है, जो देश के अलग अलग हिस्सों में तब से अब तक उपयोग की जाती आ रही हैं। जब किसी भोज्य पदार्थ को ताजा उपयोग में न लाकर इसे कुछ या बहुत लंबे समय बाद उपयोग के लिए रख दिया जाता है तो अधकितर भोज्य पदार्थ विषैले हो जाते है। शहरों के ये रेस्टोरेंट आपको जाने अनजाने यही जहर परोस रहें। तो अब जब भी कहीं रेस्टोरेंट में खाने का इरादा हो तो पहले अपने स्वास्थ्य की चिंता जरूर कीजिये। बासी एवं संरक्षित भोज्य पदार्थ की सूची जब आती है तो इसमें पिज्जा और ब्रेड रोल भी पीछे नहीं जिन्हे अक्सर पुनः गर्म करकर आपको परोस दिया जाता है। इसमें से जिस भोज्य पदार्थ को नमी के साथ बाद में उपयोग के लिए रखा जाता है, उसमें किण्वन होने से वह और अधिक उपयोगी हो जाता है। लेकिन गौर करने वाली बात है कि एक किण्वन से उपयोगी भोज्य पदार्थ बनते हैं जबकि दूसरे तरह से भोजन विषाक्तता हो सकती है। आखिर हमारे प्राचीन रसोई वैज्ञानिकों नें क्यों ताजे भोजन खाने की सलाह दी है यह विचारणीय है। वैसे एक बात बताऊँ, आप सभी ने कभी न कभी भुना हुआ भात और रोटी पोहा जरूर खाया होगा। या अधिकांश लोग बासी भोजन करते रहते हैं। आप बासी खाने वालों में से नही हैं तो आपके चेहरे पर जल्दी झुर्रिया नहीं आएँगी । अगर आपको ऐसा लगता है की होटल रेस्टुरेंट का खाना हेल्थी है तो फिर गलतफहमी का त्याग कर दें। क्योंकि आप अक्सर इसे खाते रहते हैं, और जाने अंजाने गंभीर बीमार होते होंगे। आप जब भी कभी घर से बाहर रेस्टोरेंट वगेरह में भोजन करते हैं तो कोई आपके लिए बिल्कुल ताजा भोजन परोस दे खासकर चावल यह सम्भव नही है। क्योंकि ये जो जीरा फ्राय है न बासी बने चावल को फ्राय करके ही बनाया जाता है, कोई नया चावल तुरंत नही बनाया जाता है। इस तरह बेबकुफ़ बनाकर अधिक कीमत देकर बासी भोजन करने वाली हमारी नई पीढ़ी हमारे पारंपरिक ज्ञान को समझना ही नही चाहती है। होटल या रेस्टोरेंट में आप बड़े चाव से वह सब कुछ डकार आते हैं, जिसके लिए घर मे नाक-भौं सिकोड़ने का खेल होता है। वैसे इन सबके कई और कारण भी हैं, जैसे कि अधिक पैसा चुकाने से थोड़े समय अमीरियत का एहसास बना रहता है और दूसरा यह कि वहाँ आजकल ढेर सारे घोषित और अघोषित सेल्फी पॉइंट होते हैं। भोजन करना जैसे आवश्यकता नही बल्कि स्टेटस सिम्बल बन गया है। और यही व्यंजन जब घर पर माँ बनाये तो बासी भोजन के नाम पर न जाने क्या क्या अटरम- शटरम साइंस बताने और गिनाने लग जाते हैं। कि पेट दुखेगा, नींद आयेगी आदि आदि। शायद इन बच्चों को लगता है कि हमारे पूर्वजों ने या बड़े बुजुर्गों ने साइंस नही पढ़ी है। फेरमेंटेशन से न सिर्फ स्वाद में इजाफा होता है बल्कि इसके कारण खाद्य सामग्री/भोजन पचने में कठिन बन जाता है। इसमें विटामिन ए सहित कार्बनिक अम्लों का बहु निर्माण हो जाता है, जो शरीर की कई मेटाबोलिक क्रियाओं में आवश्यक तो होते हैं पर नुकसान देय भी होता है। शहर के ये तमाम रेस्टोरेंट और चाट भंडार आपके सेहत के साथ खेल रहें इसलिए घर के शुद्ध बने भोजन और नास्ते को प्राथमिकता दे, होटल रेस्टोरेंट में खाये तो थोड़ी सावधानी बरते।

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