क्या प्रिया सरोज अपने पिता की हार का बदला ले पाएंगी या भाजपा लगाएगी हैट्रिक ?

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पूर्वांचल लाईफ “तामीर हसन शीबू”

जौनपुर। लोकसभा चुनाव की सुरक्षित मछलीशहर सीट पर भाजपा का कमल पिछले दो चुनावों में खिल चुका है, तो वहीं तीसरी बार इस सीट पर जीत की हैट्रिक दर्ज करने के साथ ही मोदी के 400 पार अभियान की जिम्मेदारी भी भाजपा ने अपने सांसद भोला प्रसाद सरोज को दे दी है, तो वहीं सपा से तूफानी सरोज की पुत्री प्रिया सरोज अपने पिता की हार का बदला लेने के लिए चुनावी रणक्षेत्र में उतर चुकी है। इस सीट पर पूर्व में भी हैट्रिक लगाने से चूकने वाली भाजपा हैट्रिक लगा पाएगी या नहीं यह तो यक्षप्रश्न है बीपी सरोज भाजपा के सांसद व प्रत्याशी है बीपी सरोज मुंगराबादशाहपुर के मादरडीह गांव के निवासी है। भाजपा ने जातिगत समीकरण को साधने का भी भरपूर प्रयास किया है। इस लोकसभा क्षेत्र में सरोज जाति के मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। भाजपा ने इसी का ध्यान रखते हुए बीपी सरोज पर दोबारा दांव खेला है। आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बीपी सरोज ने महज 181 वोटों से जीत दर्ज की थी। इस जीत में गौर करने वाली बात यह भी थी कि एक तरफ भाजपा महज 181 वोट से चुनाव जीती थी तो वही सपा और बसपा का गठबंधन होने के बावजूद संयुक्त प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ा था।इस चुनाव में भोलानाथ सरोज को कुल 488,397 वोट मिले तो बसपा के त्रिभुवन के खाते में 4,88,216 वोट आए थे। इससे पहले 2014 में बीजेपी ने यहां एकतरफा जीत दर्ज की थी। 2014 में बीजेपी की तरफ से रामचरित्र निषाद मैदान में थे। उनके सामने बीएसपी के बीपी सरोज जो 2019 में बीजेपी के उम्मीदवार बने। बीपी सरोज को 2014 में बीजेपी के रामचरित्र निषाद ने 172155 वोटों से हराया था।मछलीशहर लोकसभा में मछलीशहर, मड़ियाहू, जफराबाद,केराकत, वाराणसी की पिंडरा विधान सभा है। मछली हर सीट में पिछड़ों और दलितों की संख्या सबसे ज्यादा है। 2011 की जनगणना केअनुसार यादव- 201867, अनसूचित जाति- 248005, ब्राह्मण 170989,राजपूत 242164, कायस्थ 91452, वैश्य-64764 और मुस्लिमों की संख्या करीब 89322 और अन्य 341799 है। भारत में सबसे कम अंतर से चुनाव जीतने वाले सांसद बने भाजपा के बीपी सरोज को सपा व बसपा गठबंधन के प्रत्याशी त्रिभुवन राम ने कड़ी टक्कर दी थी।हालांकि त्रिभुवन राम भी अब भाजपाई हो गए हैं और वाराणसी के अजगरा सीट से विधायक हैं। ऐसे में जब सपा बसपा के गठबंधन के बावजूद भाजपा अपनी सीट बचाने में कामयाब हो गयी थी तो 2024 में सपा से प्रिया सरोज व बसपा से कृपा सरोज के चुनावी मैदान में आने से वोटों का बिखराव होना तो तय है, ऐसे में चार जून को जीत के अंतर पर सभी की निगाहें लगी होंगी।

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