जर्मनी के बाल गृह में फंसी एक ढाई साल की भारतीय बच्ची की दर्दनाक कहानी…..

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दो सालों से जंग लड़ रही भारतीय मां जर्मनी में अमानवीय तौर पर बाल गृह में रखी गई छोटी सी बच्ची “अरिहा” को रिहा करने के लिए जर्मन राजदूत से अपना दुखड़ा रोया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए अपील की….

तकरीबन 2 साल से अपनी छोटी सी बच्ची अरिहा को छुड़ाने के लिए जंग लड़ रही है। जर्मनी से अपनी रोजगार और नौकरी छोड़ कर भारत लौटी अपने पति के साथ बच्ची को वापस पाने के लिए देश भर के राजनेताओं,प्रबुद्ध वर्ग के विशिष्ट व्यक्तियों,पत्रकारों से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के दरवाजे खटखटा रही हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। रोती- बिलखती मां एक प्रतिनिधिमंडल के साथ आज दिल्ली में जर्मन के राजदूत जर्मन राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन से मिली और अपना दुखड़ा सुनाया और उनसे अपनी बच्ची को वापस लाने में मदद की गुहार लगाई।

दुख से व्याकुल मां द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि आज जैन प्रतिनिधिमंडल ने जर्मन राजदूत से मुलाकात की और अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए इकलौती छोटी सी बच्ची अरिहा शाह (2.5 साल ) पर जारी अन्य को रोकने और उसे रिहा करने की अपील की। इस मामले में बच्ची की मां ने अनुरोध किया कि जर्मन सरकार नियमानुसार भारत सरकार को सौप दे ।

विज्ञप्ति में यह बताया गया है कि जैन समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधियों का एक दल दिल्ली स्थित जर्मन राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन से उनके आवास पर मुलाकात की और 3 वर्षीय भारतीय बच्ची अरिहा शाह भारत सरकार के माध्यम से वापस कर दी जाए। 2 साल से अधिक समय से वह बच्ची जर्मन सरकार की गलतफहमियों की वजह से बाल गृह में भेज दी गई है और इस मामले में मां-बाप भारत और जर्मनी में तभी से अपना दुखड़ा रो रहे हैं। अभी तक इस मामले में कोई उचित कार्यवाही नहीं की गई है।

उसकी मां ने बताया कि अरिहा मई 2024 ढाई साल की हो जाएगी और जर्मन सरकार उसे गलतफहमी में कैद कर रखा है। जिस बाल गृह में उसे रखा गया है वहां पर देखभाल करने वाली नर्सों को उनकी मां बताकर बहलाया – फुसलाया जाता है। मा ने यह भी कहा कि बच्ची को हर दो-तीन महीने पर नर्सों की तबादला कर नई नर्स को नई मा बताया जाता है। अब तक उसकी तीसरी नर्स बदली जा चुकी है और उसे तीसरी मां के रूप में परिचय कराया जा रहा है। छोटे बच्चे भी अपनी मां को पहचानते हैं यह बच्ची अपने को बार-बार मन बदलने और उसकी मानसिक पीड़ा देने की यह व्यवस्था नितांत अमानवीय है जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए।

बच्ची की मां ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए , बच्चे और मां की पीड़ा को व्यक्त हुए कहा कि जर्मन सरकार की इस व्यवस्था से बच्ची को कितनी बड़ी मानसिक यातना दी जा रही है जो उसके मन पर बहुत बड़े सदमे से किसी मामले में काम नहीं होगा। उसने जर्मन सरकार की व्यवस्था को एक पुराने जमाने के के कठिन कारागार से भी बदतर व्यवस्था बताई और कहा कि वहां के बाल गृह की व्यवस्था तो अत्यंत जर्जर और दुखद है। वहां बच्चों की देखभाल अत्यंत बूढ़े लोग करते हैं जो स्वयं में और असक्षम होते।

बच्ची के मां ने कहा कि इससे यह साफ़ पता चलता है जर्मनी की ऐसी पालन-पोषण प्रणाली में हमारे भारतीय बच्चे का भविष्य खतरे में है , इसलिए बच्ची को भारत सरकार को सौंप दिया जाना चाहिए। जर्मन राजदूत से अरिहा के लिए भारत के संपूर्ण जैन परिवारों की तरफ से किए जा रहे संघर्ष पर विचार करने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि इस मामले पर जर्मन अधिकारियों ने अभी तक कोई विचार नहीं किया है और लगातार इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल ने आज जर्मन राजदूत से मिलकर यह भरोसा जताया कि वह काफी सकारात्मक बातचीत किया है और जरूर अपने तरफ से प्रयास करेंगे। इसके लिए प्रतिधि मंडल ने अपना आभार व्यक्त किया।

प्रतिनिधि मंडल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष आग्रह किया है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करें और बच्ची को भारत वापस लाएं, ताकि वह अपने परिवार के साथ रह सके। प्रतिनिड मंडल का कहना है कि यह सिर्फ एक हिरासत की लड़ाई है. यह एक बच्ची के प्रति मानवता और उसकी भलाई की लड़ाई है। इसकी सफलता लाखों एनआरआई परिवारों के लिए निश्चित ही एक उदाहरण बनेगा और भविष्य में लोग इस झंझट में नहीं पड़ेंगे । प्रतिधि मंडल ने यह भी कहा कि जर्मनी या अन्य देश के बाल गृहों से संबंधित ऐसे अनेक मामले न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

आज जर्मन के राजदूत से मिलने के लिए गए प्रतिनिधि मंडल में जिन गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया था उनमें – धन्यकुमार जिनप्पा गुंडे, सदस्य, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग – भारत सरकार; ब्रह्मचारी देवेन्द्र भाई जी – जैन भिक्षु ;अवनीश जैन, पैनल सदस्य जैन अल्पसंख्यक आयोग-मध्य प्रदेश; यतिन शाह, श्वेतांबर जैन समुदाय के प्रतिनिधि; सारिका जी जैन, सचिव, भाजपा दिल्ली जैन समाज ; नैन्सी जैन – जर्मन ज्ञान के सीईओ तथा अन्य लोग शामिल थे।

परिवार में इस दुख की घड़ी में आपके भी सहयोग का बहुत बड़ा महत्व है । इसलिए सहायता के लिए आगे आए और भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और जर्मन के राजदूत को अपना अनुरोध भेजे। अधिक जानकारी के लिए संपर्क सूत्र : अवनीश जैन एम: 9540013200 / यतिन शाह एम: 96870 88474

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