रावण! तुम अमर हो

Share


यह रावण के कुब्बत की बात है
हर साल पूरा भारत जलाता है
और वह हर साल पैदा होता है
सीना तान श्रीराम से पंगा लेता है
आत्म बल पर विश्वास रखता है
बेपरवाह स्वयं में ऊर्जस्वित होता है
रोज राजमहल में वेदपाठ कराता है
नितप्रति होम -जप–जाग कराता है
वरदाता शिव को मना लेता है
शनि, वायु, इन्द्र को परास्त करता है
हर्म्य में मंदोदरी सह स्वयं रहता है
शिंशपा वाटिका में सीता को रखवाता है
भक्तिमती त्रिजटा, किंकरी रखवाता है
दुश्मन लक्ष्मण को ज्ञान भी सिखाता है
स्वयं की छोड़ो, कुलोद्धार भी करवाता है
रावण तो दृढ़ संकल्पी महान् होता है
वयं रक्षाम: की बात शिव से कहता है
शिव से विष्णु की क्लास लगवाता है
रक्ष धर्म का रक्षक रावण होता है
ब्राह्मण धर्मी दशरथ सुत होता है
हर कोई अपना-अपना धर्म मानता है
लाख जला लो, रावण जल नहीं पाता है

—मुरलीधर मिश्र
देवरिया/वाराणसी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!