जौनपुर। पैग़म्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब का 1500वां जन्मोत्सव शुक्रवार को पूरे हर्षोल्लास, अकीदत और गंगा-जमुनी तहज़ीब की झलक के साथ मनाया गया। पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। जगह-जगह रौशनी, झंडे और सजावट की चमक देखते ही बन रही थी।
ऐतिहासिक परंपरा के अनुसार जुलूस की शुरुआत:
पुरानी रिवायत के मुताबिक जश्ने ईद-ए-मीलादुन्नबी का जुलूस मछलीशहर पड़ाव स्थित शाही ईदगाह से हरी झंडी दिखाकर शुरू किया गया। हरी झंडी दिखाने का काम अरशद खान और निखलेश सिंह ने संयुक्त रूप से किया, जो कौमी एकता और भाईचारे का प्रतीक बना।
जुलूस में विभिन्न अखाड़ों ने करतब दिखाए, वहीं अंजुमनों ने नात और इस्लामी नज्में पेश कर माहौल को रूहानी बना दिया। नन्हे-मुन्ने बच्चे हरे झंडे थामे हुए हुजूर की शान में आगे बढ़ते दिखाई दिए।
कुरआनी पैग़ाम और कौमी यकजहती:
कोतवाली के सामने आयोजित कौमी यकजहती व राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में वक्ताओं ने हजरत मोहम्मद साहब के व्यक्तित्व और उनकी शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। इस्लामिक स्कॉलर रियाजुल हक़ ने कहा कि,
“पैगंबर साहब पूरी दुनिया के लिए रहमत बनकर आए। उनके पैग़ाम को आज की दुनिया में अपनाना बेहद ज़रूरी है, तभी इंसानियत, मोहब्बत और अमन कायम हो सकता है।”
रातभर रही रौनक:
जुलूस आगे बढ़ते हुए ऐतिहासिक शाही अटाला मस्जिद पहुंचा, जहां देर रात आयोजित जलसे को मौलाना कयामुद्दीन ने संबोधित किया। उनके संबोधन के बाद देर रात तक पूरे शहर में चहल-पहल और रौनक बनी रही।
प्रशासन और कमेटी की सराहनीय व्यवस्था:
मेले के प्रबंधन में मरकज़ी सीरत कमेटी के पदाधिकारी लगातार सक्रिय रहे। वहीं प्रशासनिक अमला भी पूरी मुस्तैदी से मौजूद रहा, जिससे कार्यक्रम शांतिपूर्ण और सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
मुख्य मौजूदगियाँ:
इस मौके पर अकरम मंसूरी, अरशद कुरैशी, असलम शेर खान, आसिफ मजहर, अब्दुल अहद मुन्ने, दिलदार अहमद, नूरुद्दीन मंसूरी, नेयाज ताहिर शेखू, शहाबुद्दीन विद्यार्थी, सद्दाम सिद्दीकी, मास्टर मेराज सहित बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहें।