भोर में डूबा बिस्तर, शाम होते-होते उजड़ गया गांव: गंगा की बाढ़ से हाहाकार

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पूर्वांचल लाइफ़ / धनंजय राय, ब्यूरो
भदोही।
गंगा की उफनती धारा अब भयावह रूप ले चुकी है। रात को सोए लोग सुबह पानी में घिरे उठे। कोनिया, इटहरा, हरिरामपुर और आसपास के गांवों में बाढ़ का पानी आबादी तक पहुंच गया है। खेत-खलिहान डूब गए, मंदिरों में पानी भर गया और ग्रामीणों ने पलायन शुरू कर दिया है।

गंगा का कहर: हर घंटे 5 सेमी बढ़ रहा जलस्तर

गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु (80 मीटर) के करीब: शनिवार शाम तक 79.850 मीटर पहुंचा।
200 बीघा फसलें – बाजरा, अरहर, धान – जलमग्न।
कोनिया, इटहरा, कलातुलसी, हरिरामपुर – चारों ओर पानी ही पानी।

धार्मिक स्थल भी जलसंकट में

गंगेश्वर नाथ महादेव मंदिर: आश्रम परिसर में 2 फीट तक पानी भर गया।

सीतामढ़ी के उड़िया बाबा व मौनी बाबा आश्रम: पानी दरवाजे तक।

हरिरामपुर का प्राचीन शिवालय: चारों ओर बाढ़ का पानी।

टूटा संपर्क, शुरू हुआ पलायन
कलातुलसी-हरिरामपुर मार्ग पर 3-4 फीट पानी, गांवों का आपसी संपर्क टूटा।
इटहरा की डफाली बस्ती के कई घरों में पानी, 6 परिवारों ने कोनिया में शरण ली।
सज्जाक, गुड़िया, जुनैद जैसे मुस्लिम परिवार पलायन कर कटरा बाजार पहुंचे।

“कोई आसरा नहीं” – बुजुर्गों की पीड़ा
किसान शेषमणि, दिलीप, रामजी, लवकुश जैसे लोगों की 50+ बीघा फसल बर्बाद।
नागा बाबा का दो मंजिला आश्रम भी पानी से घिरा, वहीं शरण लिए हुए हैं।
प्रशासन अलर्ट मोड में, बाढ़ नियंत्रण कक्ष सक्रिय
एसडीएम ज्ञानपुर शिव प्रकाश यादव बने नोडल अधिकारी।

तीन शिफ्ट में स्टाफ की ड्यूटी:
सुबह 6–2: शिव कुमार, हिंछलाल
दोपहर 2–10: कृपाशंकर राम, अनिल पाठक
रात 10–सुबह 6: मुन्नीलाल, जिला जीत यादव

किसी भी जानकारी या मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर: ☎ 05414-250223

स्थिति गंभीर, पर उम्मीद अभी बाकी है:—-
गांवों के लोग एकजुट हैं। बाढ़ की त्रासदी के बीच मानवता और सहयोग की मिसालें भी देखने को मिल रही हैं। प्रशासन की निगरानी जारी है, लेकिन गंगा का रुख अभी भी बस्तियों की ओर बना हुआ है।

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