विधिक साक्षरता जागरूकता सेमिनार सम्पन्न: राष्ट्रीय लोक अदालत और मध्यस्थता पर रहा जोर

Share

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय लोक अदालत एवं मध्यस्थता अभियान को लेकर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता सेमिनार का आयोजन खुटहन ब्लॉक, जौनपुर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा ने की, जबकि संचालन एवं पर्यवेक्षण अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश व पूर्णकालिक सचिव प्रशांत कुमार सिंह द्वारा किया गया।

इस अवसर पर डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल डॉ. दिलीप कुमार सिंह, पैनल लॉयर व काउंसलर देवेंद्र कुमार यादव, पैरा लीगल वॉलंटियर श्रीमती चंद्रावती निगम, प्राधिकरण के पीएलवी सुनील कुमार मौर्या, एडीओ पंचायत राम अवध, खुटहन विकासखंड के कर्मचारी, स्थानीय ग्राम प्रधान, सचिवगण व बड़ी संख्या में वादकारी उपस्थित रहे।

न्याय तक सरल, सुलभ और त्वरित पहुंच- लोक अदालत और मध्यस्थता की भूमिका

सेमिनार में बोलते हुए प्रशांत कुमार सिंह ने मध्यस्थता और राष्ट्रीय लोक अदालत की प्रक्रिया को न्याय प्राप्त करने का सरल, सुलभ और त्वरित माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पीड़ित महिलाओं, लड़कियों और समाज के अन्य वंचित वर्गों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

उन्होंने यह भी बताया कि चेक बाउंस, बैंक विवाद, मोटर दुर्घटना, श्रम विवाद, बिजली-पानी के विवाद, वैवाहिक-पारिवारिक विवाद, भूमि, सेवा निवृत्ति और राजस्व से जुड़े मामलों का समाधान लोक अदालत एवं मध्यस्थता केंद्र के माध्यम से संभव है।

वैकल्पिक न्याय प्रणाली की अहमियत:——–

डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने विधिक सेवा प्राधिकरण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को साझा करते हुए कहा कि 1980 के दशक में जब देश में मुकदमों का बोझ अत्यधिक बढ़ गया, तब वैकल्पिक न्याय प्रणाली के रूप में इस प्राधिकरण की स्थापना की गई। जस्टिस पी. एन. भगवती और जस्टिस वी. कृष्ण अय्यर इसके प्रमुख प्रेरणास्रोत रहे।

उन्होंने बताया कि आज हर जनपद में स्थापित विधिक सेवा प्राधिकरणों में मध्यस्थ, पैनल लॉयर, काउंसलर, डिफेंस लॉयर, पैरालीगल वॉलंटियर और फ्रंट ऑफिस सिस्टम जैसे सशक्त तंत्र मौजूद हैं, जो नागरिकों को निःशुल्क सहायता प्रदान करते हैं।

संबंधों में मधुरता और न्यायिक बोझ में कमी:——-

काउंसलर देवेंद्र कुमार यादव ने कहा कि परिवार न्यायालयों में काउंसलिंग और सुलह प्रक्रिया के माध्यम से विवादों का समाधान प्रभावी ढंग से किया जा रहा है। तेजाब पीड़िता, पारिवारिक हिंसा से पीड़ित महिलाएं और अन्य पीड़ित व्यक्ति विधिक सेवा प्राधिकरण से पूरी तरह निःशुल्क सहायता ले सकते हैं।

उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति को न्याय पाने का मौलिक अधिकार है। मध्यस्थता के जरिए न्यायिक प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है और पारिवारिक या आपसी शत्रुता को खत्म कर सौहार्दपूर्ण संबंध कायम किए जा सकते हैं।”

जन उपयोगी जानकारी और आह्वान:—-

एडीओ पंचायत राम अवध ने विकासखंड कार्यालय की ओर से जन उपयोगी योजनाओं और विधिक सहायता से संबंधित जानकारी दी तथा प्रधानों और सचिवों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में लोक अदालत और मध्यस्थता के प्रति जागरूकता बढ़ाएं, ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!