घड़ी……!

Share

जिसने भी बनाई है,
दुनिया में घड़ी….
क्या कहूँ…कैसे कहूँ…..?
अच्छाईयों के साथ ही उसने,
समस्या कर दी कई खड़ी….
जनम होते ही प्यारे,
राशि- लगन देखने को….!
ज्योतिषी को जरूरत इसकी पड़ी…
बाँचने को उम्र भर का भविष्य….!
कुण्डली की नीँव…होती यही घड़ी..
घड़ी को देखना और सीखना भी….!
रही हमेशा ही ….एक कठिन घड़ी….
सिखलाई के दौर में…अनायास ही..
माँ-बाप ने कई-कई चपत जड़ी….
हाथ में जो पड़ी पहली बार घड़ी….!
सबकी निगाह….घड़ी पर ही चढ़ी…
और पूछा हर किसी ने…!
उम्मीद लगा कर बड़ी-बड़ी..…
क्या बजा रही है प्यारे…आपकी घड़ी
सचमुच…जरूरत हर किसी को….
इस घड़ी की है पड़ी….चाहे…
अमीर हो या कोई गरीब हो….या…
हो ऑला लिए डॉक्टर….या फिर…
मास्टर….हाथ में लिए छड़ी….
घड़ी के कारण ही प्यारे….!
होती है हर परीक्षा कड़ी….
घड़ी के कारण ही…स्कूल में भी…
अक्सर ही गुरुदेव ने जड़ी…छड़ी…
जो खेल खेला कभी अधिक देर तक
इस घड़ी के कारण ही….!
दरवाजे पर…जम के चपत पड़ी….
नींद से भोर में ही जगाती रही घड़ी
और तो और अकारण ही….!
नींद से हमेशा ही…लड़ी है घड़ी….
कभी क्विज़ हुआ तो मुताबिक घड़ी
चलती है….सवालों की झड़ी….
खेल में भी प्यारे…ढूँढने को विजेता..
चाहिए होती है….एक अदद घड़ी….
यही नहीं प्यारे….!
गौर से देखो तो सही….
चाँद और सूरज की चाल भी,
तय कर रही है यहाँ घड़ी….
मंगल हो या हो अमंगल…!
लोकतंत्र हो या कि हो राजतंत्र,
दोनों के ही दुनियावी काज में….!
यहाँ तक कि मंत्र और नमाज में भी
चाहिए होती है यह घड़ी….
विवाह के हर चोंचलों से अलग…!
लोगों की निगाह पर होती है घड़ी…
घड़ी पर ही यहाँ….टिकी होती है…
बेचारे दूल्हे की….इज्जत बड़ी….
यात्रा में भी देखो यारों….!
जीप हो या बस…या हो रेलगाड़ी…
इनको तो चलाती ही है घड़ी…
ध्यान से देखो तो….समय से….
जहाज को भो उड़ाती है घड़ी…
थाना-पुलिस में भी देख लो प्यारे…
जी.डी./सी.डी. भी चलाती है घड़ी…
पल-पल का हिसाब यहाँ….!
जोड़े-घटाए रखती है घड़ी….
जाहिर है जनाब….जग में…
जीवन के हर मोड़ पर,
जरूरत है घड़ी….पर यहीं….
यह भी क़ाबिल-ए-गौर है प्यारे….
कि इस घड़ी की भी….!
है दुश्वारियां बड़ी-बड़ी….
कुछ अजीब सी दासताँ है कि…!
सबको यहाँ चाहिए चलती हुई घड़ी..
कोई भी रखना नहीं चाहता….
घरों में घड़ी बंद सी पड़ी….क्योंकि…
विकास का और भाग्य का पर्याय है…
चलती हुई घड़ी….चलती हुई घड़ी….
बंद हो जो कोई घड़ी….!
मानी गई है….यहाँ सदा….
दुख की घड़ी…..दुख की घड़ी….

रचनाकार…..
जितेन्द्र कुमार दुबे
अपर पुलिस उपायुक्त,लखनऊ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!