पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमा या साजिश का जाल?

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डॉ नाजिया के आरोपों पर उठे गंभीर सवाल

जौनपुर, कोतवाली पुलिस द्वारा डॉ. नाजिया की तहरीर पर पत्रकार तामीर हसन शीबू के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया है। लेकिन इस पूरे मामले की सच्चाई पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि न तो कोई ठोस सबूत सामने आया है और न ही आरोपों को साबित करने के लिए कोई प्रमाण प्रस्तुत किया गया है।

सूत्रों के अनुसार, डॉ. नाजिया ने पत्रकार तामीर हसन पर एबॉर्शन के लिए दबाव, ऑडियो वायरल करने की धमकी, पैसे की मांग और जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने जैसे आरोप लगाए हैं। लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उक्त शिकायतकर्ता डॉक्टर के पास इन आरोपों को सिद्ध करने के लिए कोई ठोस ऑडियो, वीडियो या अन्य प्रमाण उपलब्ध हैं या नहीं।

विवेचना से जुड़े अधिकारियों ने भी यह स्पष्ट नहीं किया है कि प्रथम दृष्टया कोई साक्ष्य पुलिस को प्राप्त हुआ है या नहीं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या कोई भी व्यक्ति किसी पर बिना सबूत के इतने गंभीर आरोप लगाकर उसे समाज में दोषी साबित कर सकता है?

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर यह आशंका भी ज़ाहिर की जा रही है कि कहीं यह किसी गहरे षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं, जिससे न केवल पत्रकार की छवि धूमिल की जाए बल्कि उनकी बेबाक और जनसरोकार से जुड़ी पत्रकारिता को भी दबाया जाए।

बताते चलें कि तामीर हसन शीबू स्वतंत्र और साहसी पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने हमेशा जनता की आवाज़ को मंच देने का कार्य किया है। हाल ही में उन्होंने कई ऐसे मुद्दों को उठाया, जिनसे कई प्रभावशाली लोग असहज हुए थे।

फिलहाल पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की विवेचना महिला उपनिरीक्षक आरती सिंह को सौंप दी है। लेकिन जब तक जांच के आधार पर सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी। पत्रकार समाज ने एक स्वर में इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कानून का इस्तेमाल किसी बेगुनाह की छवि बिगाड़ने या उसे दबाने के लिए न किया जाए।

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