शर्मनाक: आतंकी हमलें ने इंसानियत को झकझोरा, भारत ने पाक को घेरा

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यूपी ; पहलगाम में क्या हुआ उसका आंखो देखा हाल वहां के एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार , जिन्होंने मीडिया से बातचीत में घटना का संक्षेप में वर्णन किया और बताया कि पहली बात जहाँ घटना हुईं उस जगह अच्छी खासी भीड़ थी और वहां ज्यादातर हिन्दू पर्यटक थे जो रेस्टोरेंट से चाय कॉफी का आनंद ले रहे थे और कुछ घुड़सवारी कर रहे थे। वहां स्थानीय लोग थे जो इस व्यवसाय से कमाते है। जेहादी आतंकी जंगल के रास्ते से आये और वे सेना की वर्दी में थे किसी का ध्यान न गया। उन्होने सबसे पहले घोड़े पर पर्यटक को घुमा रहे एक मुस्लिम को टोका तो वो अपने ग्राहक को रोकने के चलते वो उनसे लड़ पड़ा उसे नहीं पता था ये आतंकी है और वो भारतीय सैनिक समझ उनसे बहस करने लगा तभी उन्होंने उसे गोली मार दी । गोली चली उसके साथ दो अन्य लोग मारे गए। कोई कुछ समझता उससे पहले आतंकियों ने ग्रुप में बैठे लोगो पर फायरिंग करते हुए उन्हें घेर लिया। इस दौरान स्थानीय और पर्यटक दौनो काफ़ी संख्या में भाग भी निकले। जो लोग आतंकियों ने पकडे उनसे उनकी पहचान पूछी, हिन्दू कन्फर्म कर उन्हें मार डाला गया। ये सब बेहद थोड़े समय में ही हो गया। कोई रिएक्शन टाइम नहीं। किसी को कुछ समझ नहीं आया और घटना बस यही थी। अब शुरू हुआ पोलिटिकल गेम! पहले कूदी नेहा सिंह राठौर जिन्होंने कांग्रेस के लिए बैटिंग शुरू की और फिर कूदे आरजेडी वाले पर सभी ने अपने अपने हिसाब से कहानी छाँटना चालू कर दिया कि लाशों के क़िस हिस्से को खाना है। जहाँ विपक्ष से कांग्रेस सपा इत्यादि का दुःख इस बात से मिश्रित था कि भाई आतंकी तो बड़े मददगार थे कुछ को तो छोड़ दिया आतंक का मज़हब नहीं और बड़ी सफाई से काट पीट पोस्ट और वीडियो डाले। उधर भाजपा वालों का रोना अलग लेबल पर रहा। इसे कहते है लेग पीस रोना। कई आईएएस बने इस लिए घटना हुईं। फलाने का मोदी नाम लिए इस लिए लोग मरे सऊदी गये, देखो मोहम्मद बिन सलमान क्या करवा दिया, बजट से लेकर विदेश नीति होते हुए। सबसे ख़ास कश्मीर का बहिष्कार कर दो ये वो। भावनाओं में बह क्या क्या बक रहे पर असली लड़ाई अब भारत पाकिस्तान से लड़ रहा है। उधर टीएमसी वाले ठीक वही बात बोल रहे जो हाफ़िज़ सईद बोलता है। उसके बाद फ्यूचर पीएम और यूपी के फ्लॉफ भूतपूर्व सीएम के सपोर्टर आए उनकी हर दिक्क़त का एक ही समाधान और एक ही कारण , सेक्युलारिज्म। हाल के एक्शन से कोई भारतीय संतुष्ट न होगा ना होना चाहता है। अब बदले में 1000 मार दिए तो केजरीवाल कहेँगे हमको वीडियो दिखा मारने का। अब समय है पीओके लेने का अब ले लिया तो ले लेंगे। क्या फायदा ऐसे बहस का जब बाबर समरकंद से आया था। तो मानें पहली बार 1947 से आज तक ऐसा हुआ जब कश्मीर में आतंकवाद विरोधी, और भारत समर्थक नारे सुनाई दिए। आतंक का रोजगार पूर्व में भी भारत से ही चलता था। खा भी रहे और वहा वाले गुर्राते भी थे। आज गुर्राना भूले हैँ तो वजह भी होगी। देश के 9 राज्यों में अलगाववाद। देश के 11 राज्य नक्सल से प्रभावित और देश के जिस कौने में जब चाहें जहादी विस्फोट और हमला। ये मोदी पूर्व का भारत था। कुछ तो भारत में खुशी से फटे पड़ रहे थे… जैसे मुंह मांगी मुराद हो ये हमला… ऐसा लगा जैसे कहीं इन्हीं के निमंत्रण पर तो न हुआ….लाशें देख बस नाचने का वीडियो न आया… दावा पक्का कर दिया मोदी कुच्छो न कर पायेगा… हमारा वाला होता तो खुद जाकर हैंडपम्प उखाड़ के लौटता। सकीना में खैर कोई इंट्रेस्ट नहीं और ये काम भी चिट्ठी भेज चुनौती दे होता। राजनेता कोई हो निर्णय लेगा। डिप्लोमेटिक कदम उठाएगा, जो सिंधु जल समझौता 1965/71/99 की जंग न रोक पायी। वो रुक गया अब पाकिस्तान की लाइफ लाइन है सिंधु नदी। और भारत आज पाकिस्तान के 60% प्रवाह को रोकने में सक्षम है। हज़ार मिसाइल दागने से बड़ा प्रहार है ये फिर भी बाकी निर्णय या सीधे कहूँ सैन्य निर्णय ठीक है।

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