“स्त्री हूँ मैं!”

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“स्त्री हूँ मैं!”
सृष्टि का आरंभ हूँ
रचना का पर्याय हूँ
कला का रूप हूँ
शौर्य का प्रादुर्भाव हूँ

मैं स्त्री हूँ !

पराक्रम का उद्गम हूँ
साहस की मशाल हूँ
सहनशीलता का उत्कर्ष हूँ
क्षमा का स्रोत हूँ

मैं स्त्री हूँ !

चरित्र निर्माण की नींव हूँ
त्याग का प्रतिरूप हूँ
संस्कृति का आधार हूँ
शक्ति-स्वरूप हूँ

मैं स्त्री हूँ !

कवि संतोष कुमार झा, सीएमडी कोंकण रेलवे

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