केराकत में फल-फूल रहा ‘सेहत का सौदागर नेटवर्क’

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बिना मान्यता के दर्जनों अस्पतालों में हो रहा मरीजों का शोषण

रिपोर्ट अरविंद कुमार यादव

जौनपुर।
केराकत तहसील क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर खुलेआम मरीजों की जिंदगी और गाढ़ी कमाई से खिलवाड़ हो रहा है। मानक और मान्यता से रहित अवैध अस्पताल व पॉलीक्लीनिक “सेहत का सौदा” करने वाले केंद्र बन गए हैं। बिना डिग्री वाले झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खेल रहे हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग और अधीक्षक की चुप्पी सवालों के घेरे में है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बगल में भी अवैध अस्पताल

चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ अवैध अस्पताल तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से मात्र 20 मीटर की दूरी पर चल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की मौजूदगी के बावजूद इन अस्पतालों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्टेशन रोड, सरकी रोड, टीवीएस एजेंसी के नीचे, मनियरा चौराहा, सिहौली चौराहा समेत कई इलाकों में अवैध हॉस्पिटल व पॉलीक्लिनिक बिना रजिस्ट्रेशन या समाप्त मान्यता के धड़ल्ले से संचालित हैं।

‘डिग्री डॉक्टर’ नाम पर ‘झोलाछाप’ इलाज

इन अस्पतालों के कागज़ों में बड़े डॉक्टरों के नाम और डिग्रियां दिखाकर मान्यता हासिल की जाती है, पर हकीकत में मरीजों का इलाज बिना किसी वैध योग्यता वाले लोग करते हैं। कई मरीजों पर बिना जरूरत के ऑपरेशन थोपे जा रहे हैं और महंगी दवाओं के नाम पर खुलेआम लूट मची है।

दवा और ऑक्सीजन की कालाबाजारी

सूत्रों के अनुसार, ₹300 का मेरोपेनम इंजेक्शन ₹4,000 तक और ₹600 के ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए ₹10,000 से ₹12,000 तक वसूले जा रहे हैं। यह स्थिति न केवल गैरकानूनी है बल्कि मानवता को भी शर्मसार करने वाली है।

कागज़ी कार्रवाई तक सीमित जांच

स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर की जाने वाली “जांच” केवल औपचारिकता बनकर रह गई है। बताया जाता है कि जिन अस्पतालों को सील किया जाता है, वे कुछ ही दिनों में फिर से शुरू हो जाते हैं। इससे विभागीय मिलीभगत और लापरवाही के गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

सेवा नहीं, बन गया है व्यवसाय

केराकत में अब चिकित्सा सेवा नहीं, बल्कि “कमाई का उद्योग” बन चुकी है। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार झोलाछापों की जालसाजी में फंसकर न सिर्फ कंगाल हो रहे हैं बल्कि कई मामलों में अपनी जान भी गंवा रहे हैं।

जनता की मांग — कठोर कार्रवाई हो

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि सभी अवैध अस्पताल, पॉलीक्लिनिक और नर्सिंग होम की तत्काल जांच कर, बिना मान्यता संचालित संस्थानों को सील किया जाए। साथ ही, झोलाछाप डॉक्टरों व संचालकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो, ताकि आम जनता को सुरक्षित और ईमानदार स्वास्थ्य सुविधा मिल सके।

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